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मायोपिया और दृष्टिवैषम्य के लिए लेसिक सर्जरी के लाभ और जोखिम

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Category: Hindi

मायोपिया और दृष्टिवैषम्य के लिए लेसिक सर्जरी
Categories
Astigmatism Hindi Myopia Nearsightedness

मायोपिया और दृष्टिवैषम्य के लिए लेसिक सर्जरी के लाभ और जोखिम

    January 9, 2024 9212 Views

लसिक सर्जरी एक लोकप्रिय और प्रभावी सर्जिकल प्रक्रिया है जिसका उपयोग मायोपिया और दृष्टिवैषम्य जैसी दृष्टि समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। निकट दृष्टिदोष के रूप में भी जाना जाने वाला मायोपिया एक ऐसी स्थिति है जहां दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं, जबकि दृष्टिवैषम्य एक आंख की स्थिति है जो प्रभावित करती है कि आंख प्रकाश को कैसे केंद्रित करती है।

लसिक सर्जरी दृष्टि में सुधार करने के लिए कॉर्निया, जो आंख का स्पष्ट सामने वाला हिस्सा है, को फिर से आकार देने के लिए लेजर का उपयोग करती है।

जबकि लेसिक सर्जरी पिछले कुछ वर्षों में अधिक आम हो गई है, यह तय करने से पहले कि यह आपके लिए सही है, इस प्रक्रिया के लाभ और जोखिम दोनों को समझना महत्वपूर्ण है।

निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) – Myopia (Nearsightedness) और दृष्टिवैषम्य (Astigmatism) के लिए लेसिक सर्जरी के लाभ

बेहतर दृष्टि –

मायोपिया और दृष्टिवैषम्य के लिए लेसिक सर्जरी के मुख्य लाभों में से एक यह है कि यह आपकी दृष्टि में सुधार कर सकता है। प्रक्रिया के बाद, कई रोगी स्पष्ट दृष्टि की रिपोर्ट करते हैं और चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की आवश्यकता के बिना बेहतर देखने में सक्षम होते हैं।

 त्वरित प्रक्रिया –

लेसिक सर्जरी आमतौर पर एक त्वरित प्रक्रिया होती है, जिसमें प्रति आंख केवल 15 मिनट लगते हैं। इसका मतलब है कि आप सर्जरी के बाद अपेक्षाकृत जल्दी अपनी दैनिक गतिविधियों में वापस आ सकते हैं।

न्यूनतम दर्द –

लेसिक सर्जरी एक अपेक्षाकृत दर्द रहित प्रक्रिया है। प्रक्रिया के बाद मरीजों को कुछ परेशानी या हल्के दर्द का अनुभव हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर अल्पकालिक होता है और इसे ओवर-द-काउंटर दर्द दवाओं के साथ प्रबंधित किया जा सकता है।

 स्थायी परिणाम –

लेसिक सर्जरी के परिणाम आमतौर पर स्थायी होते हैं। प्रक्रिया के बाद, अधिकांश रोगी चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की आवश्यकता के बिना स्पष्ट रूप से देखने में सक्षम होते हैं।

आत्मविश्वास में वृद्धि –

बेहतर दृष्टि से आत्मविश्वास में वृद्धि और जीवन की बेहतर गुणवत्ता हो सकती है। कई मरीज़ लेसिक सर्जरी के बाद अधिक आत्मविश्वास और आत्मविश्वास महसूस करने की रिपोर्ट करते हैं।

मायोपिया और दृष्टिवैषम्य के लिए लेसिक सर्जरी के जोखिम

 सूखी आंखें –

लेसिक सर्जरी के सबसे आम दुष्प्रभावों में से एक सूखी आंखें हैं। यह तब होता है जब आंखें उन्हें लुब्रिकेटेड रखने के लिए पर्याप्त आंसू पैदा करने में सक्षम नहीं होती हैं। मरीजों को उनकी आंखों में जलन या खुजली का अनुभव हो सकता है और लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए आंखों की बूंदों का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है।

 चकाचौंध और प्रभामंडल –

कुछ रोगियों को सर्जरी के बाद रोशनी के चारों ओर चकाचौंध या प्रभामंडल का अनुभव हो सकता है। इससे रात में या कम रोशनी की स्थिति में स्पष्ट रूप से देखना मुश्किल हो सकता है।

 ओवरकरेक्शन या अंडरकरेक्शन –

कुछ मामलों में, लेसिक सर्जरी के परिणामस्वरूप दृष्टि समस्या का ओवरकरेक्शन या अंडरकरेक्शन हो सकता है। इसका मतलब है कि प्रक्रिया के बाद भी रोगी को चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की आवश्यकता हो सकती है।

 फ्लैप संबंधी जटिलताएं –

लेसिक प्रक्रिया के दौरान कॉर्निया में एक पतला फ्लैप बन जाता है। दुर्लभ मामलों में, यह फ्लैप विस्थापित या झुर्रीदार हो सकता है, जिससे दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

संक्रमण –

किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया की तरह, लेसिक सर्जरी में संक्रमण का खतरा होता है। सर्जरी के बाद संक्रमण को रोकने के लिए मरीजों को एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है।

निष्कर्ष

मायोपिया और दृष्टिवैषम्य जैसी दृष्टि समस्याओं को ठीक करने के लिए लेसिक सर्जरी एक अत्यधिक प्रभावी तरीका हो सकता है। हालांकि, किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया की तरह, यह निर्णय लेने से पहले कि क्या यह आपके लिए सही है, लाभ और जोखिम दोनों को समझना महत्वपूर्ण है।

जबकि लेसिक सर्जरी आम तौर पर सुरक्षित और प्रभावी होती है, एक योग्य और अनुभवी सर्जन का चयन करना महत्वपूर्ण है जो इस बारे में सूचित निर्णय लेने में आपकी सहायता कर सकता है कि यह प्रक्रिया आपके लिए सही है या नहीं।

मित्रा आई हॉस्पिटल पंजाब का सबसे अच्छा नेत्र अस्पताल है जो लेसिक सर्जरी में आपकी मदद कर सकता है।


किन कारणों से आंखों में दर्द की समस्या होती है ?
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eye care Hindi

आंखों में दर्द के कारण कौन-सा खतरा बढ़ सकता है !

    November 15, 2023 68506 Views

लोगों में आंखों के दर्द से जुडी काफी बीमारियां देखने को मिलती है, वही आंखों में दर्द के साथ आपके सिर में भी दर्द की समस्या बनी रहती है तो इससे बचाव के लिए सबसे पहले आपको इसके कारणों के बारे में जानना होगा ताकि आप जान सके की आपके सिर दर्द का आंखों में दर्द के साथ क्या संबंध है, तो आप अगर आंखों में दर्द के कारणों के बारे में जानना चाहते है तो आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहे ;

आंखों और सिर में दर्द होने के क्या कारण है ?

  • इसका पहला कारण है साइनस वही साइनस कई दफा संक्रमण भी हो सकता है, साइनस में आंखों, माथे, गाल, नाक और ऊपर के दांतों में दर्द हो सकता है। वही ये दर्द कई बार पूरे दिन आपको परेशान कर सकता है, इसके अलावा साइनसाइटिस अक्सर एलर्जी की वजह से बढ़ती है।
  • माइग्रेन भी आँखों और सिर में दर्द के कारणों में गिना जाता है, वही अगर आपको सिर में एक तरफ और कभी-कभी एक आंख के पीछे बहुत दर्द होता है तो ये माइग्रेन के लक्षण है। इसके अलावा ये दर्द कई बार 72 घंटे तक भी रह सकता है, बात करें इस दर्द की तो इसमें आपको जी मिचलाने की समस्या, नाक बहने जैसा भी महसूस हो सकता है. प्रकाश, ध्वनि या किसी गंध से भी आपको एलर्जी हो सकती है। 
  • तनाव भी सिर और आँखों में दर्द की एक महत्वपूर्ण वजह है। वही इस दर्द की बात करें तो इससे ज्यादा ग्रस्त महिलाएं रहती है। वही जब हमारे द्वारा तनाव लिया जाता है तो दर्द सिर के दोनों तरफ या आपके सिर के सामने, आंखों के पीछे हो सकता है।
  • कई दफा क्लस्टर सिर दर्द में भी आंखों के आसपास तेज दर्द होता है, वही ज्यादातर एक आंख के आसपास ही दर्द रहता है. दर्द के साथ आंख से पानी आना और लाल होने की समस्या भी हो सकती है। हालांकि ये आम सिर दर्द नहीं है और ज्यादातर पुरुषों को यह दर्द प्रभावित करता है।

इन सब कारणों को जानने के बाद अपने आँखों और सिर में दर्द की समस्या से बचाव के लिए पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर से संपर्क करें।

आँखों में दर्द का होना किस विटामिन की कमी को दर्शाता है !

  • कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि विटामिन-ए और बी12 की कमी होने से आंखों में दर्द की समस्या उत्पन्न होती है और कई बार ये दर्द आँखों की रोशनी को भी प्रभावित करता है, वही इन विटामिन की कमी को पूरा न किया जाए तो आंखों की रोशनी तक जा सकती है।
  • अगर आपको इन विटामिन की कमी की वजह से दूर और पास का साफ़ दिखाई नहीं देता तो इसके लिए आप पंजाब में लेसिक सर्जरी का भी चयन कर सकते है।

आँखों की समस्या से निजात दिलवाने के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

  • अगर आप या आपके परिजन में से कोई भी आँखों में दर्द की समस्या से परेशान है तो इसके लिए आपको मित्रा आई हॉस्पिटल के संपर्क में आना चाहिए। 
  • वही इस हॉस्पिटल में आधुनिक उपकरणों की मदद से मरीजों के आँखों से जुडी समस्या का समाधान किया जाता है। 
  • यहाँ के अनुभवी डॉक्टर की बात करें तो उन्हें भी अपनी फील्ड का काफी सालों का अनुभव है। 
  • वही यहाँ के वरिष्ठ डॉक्टर, “डॉ हरिंदर मित्रा” को भी आँखों में सर्जरी को करने का काफी सालो का अनुभव है। 

सारांश :

इस पूरे लेख को लिखने का मकसद आपको बस जागरूक करना है की अगर आपको आँखों से जुडी किसी भी तरह की परेशानी आ जाए तो कैसे आप खुद का बचाव कर सकते है, तो आप अगर आँखों से जुडी समस्या का समाधान पाना चाहते है तो इसके लिए आपको आर्टिकल को अंत तक पढ़ना होगा, वो भी खुद की बेहतरीन सेहत के लिए।


Eye Drocotr Image
Diagnostic eye examination at Mitra Eye Hospital for comprehensive vision care and eye health services.
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Hindi Macular Edema

मैक्यूलर एडिमा क्या है – जानिए इसके लक्षण, कारण बचाव व इलाज के तरीके?

    November 8, 2023 5034 Views

Macular Edema: मैक्यूलर एडिमा एक ऐसी स्थिति है, जो मैक्युला को प्रभावित करती है, जो रेटिना के केंद्र में स्थित आंख का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मैक्युला तीव्र, केंद्रीय दृष्टि के लिए जिम्मेदार है, जो व्यक्तियों को विवरण स्पष्ट रूप से देखने की अनुमति देता है। जब मैक्युला में द्रव जमा हो जाता है, तो इससे केंद्रीय दृष्टि में सूजन, धुंधलापन और विकृति आ जाती है। यह स्थिति अक्सर विभिन्न नेत्र रोगों या स्थितियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है, तो आइये जानते है क्या है मैक्यूलर एडिमा के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के तरीकों ;

मैक्यूलर एडिमा क्या है ?

हमारे रेटिना के मध्य भाग को मैक्युला कहा जाता है। ज्यादातर फोटोरिसेप्टर मैक्युला में ही होते है। मैक्युला के कारण ही हम पास और दूर की चीज़ों को अच्छी तरह देख पाते है। अगर किसी वजह से इस हिस्से में तरल पदार्थ जमा हो जाए या सूजन आ जाए, तो आंखों को नुकसान पहुंचता है। कभी-कभी मैक्युला में ब्लड भी जमा हो सकता है। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो ये सभी मैकुलर रोग आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते है।

 

रेटिना क्या है ?

रेटिना हमारी आंख के पीछे अंदरूनी हिस्से में मौजूद एक परत होती है, जो कैमरे की फिल्म की तरह काम करती है। इसमें बहुत सारी फोटोरिसेप्टर कोशिकाएं होती है, जो प्रकाश किरणों को इकट्टा कर मस्तिष्क तक भेजती है। मस्तिष्क इसे एक छवि की तरह समझता है और इसी तरह हम चीजों को देखते भी है।

 

लक्षण क्या है मैक्यूलर एडिमा के ? 

  • मैक्यूलर एडिमा की शुरुआत धुंधली या लहरदार केंद्रीय दृष्टि, रंग धुले हुए दिखना, पढ़ने में कठिनाई और चेहरों को पहचानने में कठिनाई जैसे लक्षणों के माध्यम से प्रकट हो सकती है। 
  • दृश्य गड़बड़ी हल्के ढंग से शुरू हो सकती है और धीरे-धीरे बढ़ सकती है, जिससे दोनों आंखें प्रभावित हो सकती है।

मैक्यूलर एडिमा होने पर अगर आप दोनों आँखों की दृष्टि खो बैठे है तो इसके इलाज के लिए आपको पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

 

मैक्यूलर एडिमा के कारण क्या है ? 

  • मैक्यूलर एडिमा आमतौर पर अन्य आंखों की स्थितियों से जुड़ी होती है, जैसे डायबिटिक रेटिनोपैथी, जहां उच्च रक्त शर्करा के स्तर के कारण रेटिना में रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है। 
  • दूसरा कारण उम्र से संबंधित मैक्यूलर डिजनरेशन (एएमडी) है, जहां मैक्युला उम्र के साथ खराब हो जाता है। इसके अलावा, आंख को प्रभावित करने वाली सूजन संबंधी स्थितियां, जैसे यूवाइटिस और रेटिना के आसपास की नसों में रुकावट भी मैक्यूलर एडिमा का कारण बन सकती है।

यदि आप कुछ भी देखने में धुंधलेपन की समस्या का सामना कर रहें है, तो इसके बचाव के लिए आपको मोतियाबिंद का इलाज जरूर से करवाना चाहिए।

 

मैक्यूलर एडिमा में रोकथाम क्या है ? 

मैक्यूलर एडिमा के कुछ कारणों, जैसे उम्र बढ़ने, को रोका नहीं जा सकता है, उचित दवा, आहार और नियमित जांच के माध्यम से मधुमेह जैसी अंतर्निहित स्थितियों को प्रबंधित करने से जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। नियमित नेत्र परीक्षण आवश्यक है, क्योंकि डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी स्थितियों का शीघ्र पता लगाने से मैक्यूलर एडिमा के विकास को रोकने के लिए समय पर हस्तक्षेप की अनुमति मिलती है।

 

उपचार के तरीके क्या है ? 

  • मैक्यूलर एडिमा का उपचार इसके अंतर्निहित कारण पर निर्भर करता है। डायबिटिक मैक्यूलर एडिमा के लिए, उपचार में आंखों में दवाओं के इंजेक्शन शामिल हो सकते है जो सूजन को कम करते है और तरल पदार्थ के रिसाव को रोकते है। 
  • लीक हो रही रक्त वाहिकाओं को सील करने के लिए लेजर थेरेपी भी एक विकल्प है। उम्र से संबंधित कुछ बातें, असामान्य रक्त वाहिकाओं के विकास को रोकने के लिए आमतौर पर एंटी-वीईजीएफ दवाओं का उपयोग किया जाता है। 
  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स दवाओं का एक अन्य वर्ग है, जिसे सूजन और सूजन को कम करने के लिए आंखों में इंजेक्ट किया जा सकता है।
  • इसके अतिरिक्त, जीवनशैली में कुछ बदलाव और घरेलू उपचार मैक्यूलर एडिमा को प्रबंधित करने में मदद कर सकते है। 
  • एंटीऑक्सीडेंट और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार आंखों के स्वास्थ्य में योगदान दे सकता है। धूप का चश्मा पहनकर आंखों को अत्यधिक यूवी जोखिम से बचाना भी फायदेमंद हो सकता है।
  • मैक्यूलर एडिमा से पीड़ित लोगों के लिए किसी नेत्र विशेषज्ञ से नियमित निगरानी और बेहतरीन कार्रवाई आवश्यक है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्थिति का प्रभावी ढंग से प्रबंधन किया जाए, उपचार योजना का पालन करना और सभी अनुशंसित नियुक्तियों में भाग लेना महत्वपूर्ण है।

 

मैक्यूलर एडिमा के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

अगर आप आँखों का इलाज और अपनी दृष्टि को वापिस पाना चाहते है, तो इसके लिए आपको मित्रा आई हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

 

निष्कर्ष :

मैक्यूलर एडिमा किसी की दृष्टि और दैनिक जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। हालाँकि कुछ कारणों को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन शीघ्र पता लगाना, अंतर्निहित स्थितियों का प्रबंधन करना और समय पर उपचार इस स्थिति की गंभीरता और प्रगति को काफी कम कर सकता है। याद रखें, समग्र स्वास्थ्य का ख्याल रखना और नियमित जांच के माध्यम से आंखों के स्वास्थ्य के बारे में सतर्क रहना अच्छी दृष्टि बनाए रखने और मैक्यूलर एडिमा को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।


आंखों-के-नीचे-आएं-सूजन-को-कैसे-करें-आसानी-से-कम
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Hindi

सूजी हुई आँखों से बचाव के क्या है – लक्षण, कारण, बचाव व घरेलु उपचार ?

    November 5, 2023 8429 Views

देर तक जागने और काम खत्म करने के अलावा, पेरिऑर्बिटल पफनेस या सूजी हुई आँखों के कई कारण अलग-अलग होते है। वहीं इस ब्लॉग के माध्यम से हम इस स्थिति को बेहतर ढंग से समझने के लिए आंखों की सूजन के कारणों, लक्षणों और उपचारों के बारे में विस्तार से जानेंगे ;

क्या है पफी या सूजी हुई आंखें ?

  • सूजी हुई आंखें एलर्जी, संक्रमण, सूजन और शारीरिक जलन का एक सामान्य लक्षण है। आंखों के आस-पास के कोमल ऊतकों में अतिरिक्त तरल पदार्थ के कारण सूजी हुई आंखें होती है। 
  • सूजी हुई आँखों के लिए चिकित्सा शब्द केमोसिस है। सूजी हुई आंखें आंख के क्षेत्र को प्रभावित करने वाली स्थितियों में या सामान्य सर्दी या फीवर जैसी अधिक सामान्यीकृत स्थितियों के साथ हो सकती है।
  • आंख की सतह की सूजन और पलकें (ब्लेफेराइटिस) सूजी हुई आंखों के सामान्य कारण है। अन्य सामान्य कारण जैसे रोना, नींद की कमी, या आँखों का अत्यधिक मलना है। 
  • कारण के आधार पर, एक या दोनों आँखों में सूजन हो सकती है और प्रभावित आँखों से लाली, दर्द, खुजली, अत्यधिक आंसू का उत्पादन, या अन्य प्रकार के निर्वहन बैग के साथ हो सकते है। पेरिओरिबिटल पफनेस “फूली आंखों” के लिए चिकित्सा का एक शब्द है। 

सूजी हुई आँखों के बारे में जानने के बाद इसको हल्के में लेने की भूल कृपया न करें, बल्कि समय रहते इससे बचाव के लिए पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करें। 

सूजी हुई आँखों के लक्षण क्या है ?

  • नेत्रगोलक में उभार का आना। 
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशील होना। 
  • आँखों में लालपन की समस्या।   
  • अत्यधिक आँसू का आना। 
  • चोट लगने जैसी समस्या का सामना करना। 
  • खुजली की समस्या। 
  • चेहरे में अन्य सूजन की समस्या आदि।

अगर सूजी हुई आंखें ज्यादा गंभीर हो जाए, और इसी गंभीरता के कारण व्यक्ति कुछ भी देखने में खुद को असमर्थ समझे तो इससे बचाव के लिए आपको पंजाब में लेसिक सर्जरी का चयन करना चाहिए।

सूजी हुई आँखों के कारण क्या है ? 

  • चिकित्सा भी इसके कारण में शामिल हो सकता है। 
  • आँखों में बैक्टीरियल या वायरल के कारण आंखें संक्रमित हो जाती है या उनमे सूजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • प्राकृतिक के कारण भी आंखें सूज जाती है। 
  • लाइफ स्टाइल भी आँख सूजने के कारणों में शामिल है। 
  • वहीं पेरिओरिबिटल एडिमा के चिकित्सा कारणों में शामिल है :
  • मोनोन्यूक्लिओसिस। 
  • आँखों की एलर्जी। 
  • त्वचा संबंधी विकार। 
  • थायराइड का रोग। 
  • पेरिओरिबिटल सेल्युलाइटिस की समस्या। 
  • गुर्दे का रोग। 
  • आंसू वाहिनी की समस्या का सामना करना। 
  • आँखों में घाव का लगना।

सूजी हुई आँखों से कैसे करें खुद का बचाव ?

  • अपनी आंखों को मलने से जितना हो सकें बचें। क्युकी अगर आप सूजी हुई आंखें मलेगे तो उसमे सूजन और बढ़ेगी।
  • बंद आंखों की पलकों पर ठंडा पानी या ठंडे पानी के छींटे मारने से आंखों की सूजन को कम किया जा सकता है।
  • अपने कॉन्टैक्ट लेंस को तब तक निकालें रखें, जब तक कि आंखों की सूजन कम न हो जाए।

सूजी हुई आँखों का निदान कैसे करें ?

  • सूजी हुई आँखों के निदान में सबसे पहले आपका नेत्र रोग विशेषज्ञ आपके मेडिकल इतिहास, जीवनशैली और लक्षणों के बारे में प्रश्न पूछ कर आपकी स्थिति का आकलन करेंगे। 
  • आपके लक्षणों के आधार पर त्वचा बायोप्सी, रक्त परीक्षण, एलर्जी परीक्षण और इमेजिंग परीक्षण, जैसे – अतिरिक्त परीक्षणों की सिफारिश की जा सकती है।

सूजी हुई आँखों का इलाज कैसे किया जाता है ?

  • इसके इलाज को मरीज़ दो तरीके से करवा सकते है, पहला घरलू उपचार और दूसरा स्थिति गंभीर होने पर व्यक्ति को डॉक्टरी सहायता लेनी चाहिए।
  • वही घरेलु उपाय की बात करें, तो आपको कम नमक, पौष्टिक आहार लेने और बहुत सारा पानी पीने की सलाह दी जाएगी। 
  • यदि आपकी आंखों में सूजन के कारण एलर्जी है, तो आमतौर पर कोल्ड कंप्रेस या एंटीहिस्टामाइन की सिफारिश की जाएगी। और यदि यह किसी संक्रमण के कारण होता है, तो एंटीबायोटिक्स सूजन का इलाज करने का एक बेहतरीन तरीका है।   
  • यदि किसी अंतर्निहित स्थिति के कारण आपकी स्थिति गंभीर होते जा रहीं है, तो आपको उस मूल कारक का इलाज करने के लिए दवा और उपचार की आवश्यकता होगी जो आपकी आंखों में सूजन का कारण बन रहा है। 
  • दिन के अंत में, सूजी हुई आँखें परेशान करने वाली और असुविधाजनक होती है। क्युकि यह आपके सामान्य दिन बिताने की आपकी क्षमता को सीमित कर सकती है। इसलिए, अपने पेरिऑर्बिटल पफनेस के निदान और उपचार के लिए हमेशा आपको एक नेत्र चिकित्सक से परामर्श करने की सलाह दी जाती है। 

आँखों की समस्या से बचाव के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

अगर आप वाकई में अपनी सूजी हुई आँखों से बहुत ज्यादा परेशान है, तो इससे बचाव के लिए आपको मित्रा आई हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए, वहीं आँखों में किसी भी तरह की समस्या आने पर आपको कोई भी उपाय खुद से नहीं अपनाना चाहिए, बल्कि एक दफा डॉक्टर से जरूर सलाह लें।   


What is the Procedure of LASIK surgery?
A young girl consults a doctor about an eye issue in a medical clinic setting.
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जन्मजात भी हो सकती है बच्चों में मोतियाबिंद, जानें इसके कारण और उपचार !

    October 17, 2023 8296 Views

बच्चों में मोतियाबिंद एक चुनौतीपूर्ण और चिंताजनक स्थिति हो सकती है। वयस्कों में मोतियाबिंद के विपरीत, जो आम तौर पर उम्र बढ़ने के परिणामस्वरूप विकसित होता है, जन्मजात मोतियाबिंद जन्म के समय मौजूद होता है या प्रारंभिक बचपन के दौरान विकसित होता है। इस ब्लॉग में, हम बच्चों में जन्मजात मोतियाबिंद के कारणों और उपचार के विकल्पों का पता लगाएंगे ;

जन्मजात मोतियाबिंद के कारण क्या है ?

जन्मजात मोतियाबिंद विभिन्न कारकों के कारण हो सकती है, और कई मामलों में, सटीक कारण अज्ञात रहते है। यहां कुछ सामान्य कारण दिए गए है :

आनुवंशिक कारण : 

जन्मजात मोतियाबिंद उन माता-पिता से विरासत में मिल सकती है जिनमें इस स्थिति के लिए जिम्मेदार दोषपूर्ण जीन होते है। ये आनुवंशिक उत्परिवर्तन आंखों में लेंस के सामान्य विकास को प्रभावित कर सकते है, जिससे मोतियाबिंद हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान संक्रमण : 

गर्भावस्था के दौरान मां को होने वाले कुछ संक्रमण, जैसे रूबेला (जर्मन खसरा), टोक्सोप्लाज़मोसिज़ या हर्पीस, बच्चे में जन्मजात मोतियाबिंद के खतरे को बढ़ा सकते है।

मेटाबोलिक विकार : 

गैलेक्टोसिमिया जैसे कुछ मेटाबोलिक विकार, शिशुओं में मोतियाबिंद के विकास का कारण बन सकते है। ये विकार शरीर की विशिष्ट शर्करा को संसाधित करने की क्षमता को प्रभावित करते है और परिणामस्वरूप मोतियाबिंद का निर्माण हो सकता है।

आघात : 

जन्म के दौरान या बचपन में आंख में लगी दर्दनाक चोटें भी मोतियाबिंद का कारण बन सकती है। ये चोटें लेंस को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे अपारदर्शिता और बादल छा सकते है। अगर आप आँखों में लगी दर्दनाक चोट से खुद का बचाव करना चाहते है तो इसके लिए आपको पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

जन्मजात मोतियाबिंद का इलाज क्या है ? 

बच्चों में जन्मजात मोतियाबिंद का इलाज शीघ्र करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। उपचार का प्राथमिक लक्ष्य स्पष्ट दृष्टि बहाल करना और दृष्टि हानि के अंधेपन को रोकना है। यहां सामान्य उपचार विकल्प दिए गए है ;

सर्जरी : 

जन्मजात मोतियाबिंद के लिए सर्जरी सबसे आम और प्रभावी उपचार है। बाल नेत्र रोग विशेषज्ञ “मोतियाबिंद निष्कर्षण” नामक एक प्रक्रिया करते है। सर्जरी के दौरान, धुंधले लेंस को हटा दिया जाता है और उसकी जगह कृत्रिम इंट्राओकुलर लेंस (आईओएल) या कॉन्टैक्ट लेंस लगा दिया जाता है।

सुधारात्मक लेंस : 

मोतियाबिंद सर्जरी के बाद, बच्चों को अक्सर अपनी दृष्टि को अनुकूलित करने के लिए सुधारात्मक लेंस, जैसे चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस की आवश्यकता होती है। ये लेंस ध्यान केंद्रित करने और स्पष्ट दृष्टि प्रदान करने में मदद करते हैं।

दृश्य पुनर्वास : 

कुछ मामलों में, बच्चों को उनके दृश्य विकास और धारणा में सुधार के लिए दृष्टि चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है। दृष्टि चिकित्सा में व्यायाम और गतिविधियों की एक श्रृंखला शामिल होती है जो दृश्य कौशल को बढ़ाने में मदद करती है।

नियमित अनुवर्ती : 

सर्जरी के बाद, बच्चे की आंखों के स्वास्थ्य की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी संभावित जटिलता का तुरंत समाधान किया जाए, बाल रोग विशेषज्ञ के साथ नियमित अनुवर्ती नियुक्तियां आवश्यक है।

अंतर्निहित कारणों के लिए उपचार : 

यदि जन्मजात मोतियाबिंद किसी अंतर्निहित आनुवंशिक या चयापचय संबंधी विकार से जुड़ा है, तो अतिरिक्त उपचार या प्रबंधन आवश्यक हो सकता है। इसमें अंतर्निहित स्थिति को संबोधित करने के लिए आहार परिवर्तन या दवाएं शामिल हो सकती है।

माता-पिता का समर्थन और शिक्षा : 

माता-पिता अपने बच्चे की रिकवरी और दृश्य विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। उन्हें स्थिति, उपचार के विकल्पों और पूरी प्रक्रिया के दौरान अपने बच्चे का समर्थन कैसे करना है, इसके बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।

जन्मजात मोतियाबिंद के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

अगर आप जन्मजात मोतियाबिंद की समस्या से अपने बच्चे का बचाव करना चाहते है, तो इसके लिए आपको मित्रा आई हॉस्पिटल के संपर्क में आना चाहिए।

निष्कर्ष :

बच्चों में जन्मजात मोतियाबिंद आनुवंशिकी, गर्भावस्था के दौरान संक्रमण, चयापचय संबंधी विकार और आघात सहित विभिन्न कारकों के कारण हो सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए समय पर निदान और उपचार महत्वपूर्ण है कि प्रभावित बच्चे सामान्य दृष्टि विकसित कर सकें। सुधारात्मक लेंस और दृश्य पुनर्वास के साथ सर्जरी, जन्मजात मोतियाबिंद के प्रबंधन के लिए सबसे आम तरीका है। माता-पिता और देखभाल करने वालों को अपने बच्चे के उपचार और पुनर्प्राप्ति में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए, पूरी यात्रा में समर्थन और समझ प्रदान करनी चाहिए। जन्मजात मोतियाबिंद का शीघ्र निदान करके, हम बच्चों को स्पष्ट दृष्टि के साथ पूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान कर सकते है।


Hair Loss and Blurred Vision: What Does It Mean
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अगर आपकी आंखें भी रहती है लाल तो जानिए इसका कारण और घरेलु उपचार !

    October 16, 2023 8497 Views

हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग आँख है। यह हमें दुनिया के रंग, समय, स्थान आदि का अनुभव करवाते है। हालांकि, कई बार हमें आँखों के संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करते है। इनमें से एक समस्या है लाल आँख। लाल आँख का मतलब होता है आँखों के सफेद हिस्से का लाल हो जाना। तो आँख लाल होने पर घरेलू उपचार क्या होते है? इससे पहले आइये जानते है इस समस्या के कारण एवं बचाव से जुड़े घरेलु उपचार क्या है ;

आँखों के लाल होने के क्या कारण है ?

एलर्जी :

एलर्जी के कारण अक्सर आंखें लाल हो जाती है। जब पराग या पालतू जानवरों की रूसी जैसे एलर्जी कारक आपकी आंखों के संपर्क में आते है, तो वे एलर्जी प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते है। ऐसे मामलों में, आप अपनी आंखों को ठंडे पानी से धोकर या ओवर-द-काउंटर एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप्स का उपयोग करके लालिमा को कम कर सकते है।

सूखी आंखें :

सूखी आँखों से आपकी आँखें लाल दिखाई दे सकती है और उनमें जलन महसूस हो सकती है। इससे निपटने के लिए नियमित रूप से कृत्रिम आँसू या आई ड्रॉप का उपयोग करें। ये बूंदें आपकी आंखों को नम रखने और लालिमा से राहत दिलाने में मदद करती हैं।

थकान और नींद की कमी :

नींद की कमी से आपकी आँखों पर दबाव पड़ सकता है, जिससे लालिमा आ सकती है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आपको अपनी आँखों को ताज़ा और चमकदार बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में आराम मिले।

डिजिटल आई स्ट्रेन:

हमारे डिजिटल युग में, स्क्रीन पर लंबे समय तक बैठने से आंखें लाल हो सकती है। और इसे रोकने के लिए, 20-20-20 नियम का पालन करें, हर 20 मिनट में, 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखने के लिए 20 सेकंड का ब्रेक लें।

धूम्रपान:

धूम्रपान लाल आँखों का एक आम कारण है। यदि आप धूम्रपान करते है, तो अपनी आंखों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इसे छोड़ने पर विचार करें।

आंखों के लाल होने के दौरान किस तरह के लक्षण नज़र आते है ?

  • आँखों के सफेद भाग में सूखापन या गर्माहट का अनुभव होना। 
  • दोनों आँखों में सूजन या लालिमा की समस्या। 
  • एक आँख के साथ दूसरी आँख की तुलना में यह समस्या अधिक होती है। 

आँखों के लाल होने के दौरान जो लक्षण नज़र आते है, उससे बचाव के लिए आपको पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

आँखों को लाल होने से बचाने के लिए कौन-से घरेलु उपाय है मददगार है ?

अब जब आप कुछ सामान्य कारणों को समझ गए है, तो आइए लाल आंखों को शांत करने के लिए घरेलू उपचारों का पता लगाएं।

आँखों को ठंडा सेक दें :

अपनी बंद आंखों पर लगभग 10 से 15 मिनट के लिए ठंडा सेक लगाएं। इससे लालिमा और सूजन कम हो सकती है।

खीरे के टुकड़े :

ठंडे खीरे के टुकड़े अपनी पलकों पर रखें। खीरे में प्राकृतिक शीतलन प्रभाव होता है जो लालिमा से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।

गुलाब जल :

एक रुई के गोले को गुलाब जल में डुबोएं और अपनी बंद पलकों को धीरे से पोंछ लें। गुलाब जल में सुखदायक गुण होते है, जो लालिमा को कम कर सकते है।

एलोवेरा जेल :

जलन और लालिमा को कम करने के लिए एलोवेरा जेल को अपनी पलकों पर लगाया जा सकता है। सुनिश्चित करें कि यह 100% शुद्ध एलोवेरा जेल हो।

कैमोमाइल चाय बैग :

कैमोमाइल टी बैग्स को गर्म पानी में भिगोएँ, उन्हें ठंडा होने दें और फिर उन्हें अपनी बंद आँखों पर रखें। कैमोमाइल में सूजन-रोधी गुण होते है, जो लालिमा से राहत दिलाने में मदद कर सकते है।

खूब पानी पियें :

अपने शरीर और आँखों को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी पियें। उचित जलयोजन सूखी आँखों को रोक सकता है और लाली को कम कर सकता है।

अगर आँखों में लालपन या अन्य समस्या के कारण मोतियाबिंद की समस्या हो गई है तो इससे बचाव के लिए आपको मोतियाबिंद का इलाज जरूर से करवाना चाहिए। 

आँखों के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

आप अगर आँखों से जुडी तमाम समस्याओं से बचाव करना चाहते है, तो इसके लिए आपको मित्रा आई हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। वहीं इस हॉस्पिटल में आँखों से जुडी समस्याओं को लेकर अनुभवी डॉक्टरों के द्वारा समझाया भी जाता है, ताकि मरीज़ को किसी भी तरह की समस्या का सामना न करना पड़े।

निष्कर्ष :

यदि लालिमा बनी रहती है या गंभीर दर्द या दृष्टि समस्याओं के साथ है तो किसी नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श करना याद रखें। आपकी आंखों के स्वास्थ्य की देखभाल करना समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए इन उपायों को अपनी नियमित आंखों की देखभाल की दिनचर्या का हिस्सा जरूर बनाएं।


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मायोपिया के इलाज में किस तरह के लेंस का प्रयोग किया जाता है ?

    October 5, 2023 6289 Views

मायोपिया जिसे निकटदर्शीता और निकट दृष्टि दोष के नाम से भी जाना जाता है। और यह भी हाइपरोपिया या एस्टिग्मेटिज्म जैसी एक सामान्य बीमारी है। मायोपिया के इलाज में किस तरह के लेंस का चयन किया जाता है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे, तो आप भी अगर मायोपिया से संबंधित अन्य बातों के बारे में जानना चाहते है तो इसके लिए लेख के साथ अंत तक बनें रहें ;

किसे कहा जाता है मायोपिया ?

  • मायोपिया होने पर आँखों में जानी वाली रौशनी रेटिना पर केंद्रित न होकर, उसके आगे केंद्रित हो जाती है। नतीजतन, मरीज को दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई पड़ती है। मायोपिया कई कारणों से होती है। इसके मुख्य कारणों में टेलीवजन, मोबाईल या लैपटॉप स्क्रीन के सामने घंटों समय गुजारना है, किताब पढ़ते या स्क्रीन देखते समय आवश्यक दूरी का ध्यान न रखना शमिल है।
  • वहीं आमतौर पर, नेत्र रोग विशेषज्ञ मायोपिया का निदान इसके लक्षणों के आधार पर करते है। इसके मुख्य लक्षणों में दूर की वस्तुओं का धुंधला दिखाई पड़ना, आँखों पर जोर पड़ना, जोर पड़ने के कारण सिर में दर्द होना और रात के समय गाड़ी चलाने में परेशानी का होना शामिल है।
  • अगर आप खुद में मायोपिया के लक्षणों को देखते है या इस बीमारी से पीड़ित है तो बिना देरी किए एक अनुभवी नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।

मायोपिया के इलाज में किस तरह के लेंस का प्रयोग किया जाता है ?

  • मायोपिया का इलाज कई तरह से किया जाता है। इसमें नॉन-सर्जिकल और सर्जिकल प्रक्रियाएं शामिल है। मायोपिया के नॉन-सर्जिकल इलाज में चश्मा और कॉन्टेक्ट लेंस तथा सर्जिकल इलाज में कई प्रक्रियाएं शामिल है।
  • आमतौर पर मायोपिया का इलाज करने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस के इस्तेमाल का सुझाव देते है। चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस का काम आँखों में आने वाली रौशनी को रेटिना पर केंद्रित करना होता है। इस चश्मे या कॉन्टेक्ट लेंस में जिस प्रकार के लेंस का इस्तेमाल किया जाता है उसे अवतल लेंस कहते है।
  • चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस को मायोपिया का सटीक इलाज नहीं माना जाता है। इस बीमारी के गंभीर होने पर मोतियाबिंद या ग्लूकोमा जैसी गंभीर बीमारियों के पनपने का खतरा बढ़ सकता है। 
  • इसलिए मायोपिया गंभीर होने पर नेत्र रोग विशेषज्ञ सर्जरी का सुझाव देते है। साथ ही, काफी लोगों को चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल पसंद नहीं होता है। ऐसी स्थिति में मरीज सर्जिकल इलाज का चुनाव करते है।

मायोपिया का इलाज सर्जरी से कैसे किया जाता है ?

  • मायोपिया की सर्जरी को कई तरह से किया जाता है। इसमें लेजर इन सीटू किरेटोमिल्युसिस (लेसिक), लेजर असिस्टेड सबएपिथेलियल किरेटोमिल्युसिस, फोटोरिफ्रेक्टिव केरटेक्टोमी और इंट्राऑकुलर लेंस प्रत्यारोपण आदि शामिल है। लेकिन इन सब में लेसिक सर्जरी को मायोपिया का बेस्ट इलाज माना जाता है।
  • मायोपिया की लेसिक सर्जरी के दौरान, नेत्र रोग विशेषज्ञ कॉर्निया में एक छोटा सा चीरा लगाकर उसे एक नया शेप यानि आकार प्रदान करते है। नतीजतन आँखों में आने वाली रौशनी रेटिना के आगे केंद्रित न होकर, रेटिना पर केंद्रित होती है और मरीज को चीजें साफ-साफ दिखाई देने लगती है।
  • लेसिक सर्जरी को मायोपिया का सबसे प्रभावशाली इलाज माना जाता है। हमारे क्लिनिक में एडवांस और मॉडर्न लेसिक सर्जरी से मायोपिया का इलाज किया जाता है। इस सर्जरी को एक अनुभवी और विश्वसनीय नेत्र रोग विशेषज्ञ के द्वारा पूरा किया जाता है। 

अगर आपको मायोपिया के इलाज के लिए सर्जरी का सहारा लेना है, तो इसके लिए आपको पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

मायोपिया के दौरान दिखने वाले लक्षण ?

  • धुंधली दृष्टि की समस्या। 
  • स्क्विंटिंग मायोपिया के लिए एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, क्योंकि यह आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को कम करके अस्थायी रूप से दृष्टि में सुधार करने में मदद कर सकता है।
  • आंखों का तनाव। 
  • सिर में दर्द की समस्या। 
  • ड्राइविंग में कठिनाई का सामना करना। 
  • लगातार चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस के नुस्खे में बदलाव का आना। 
  • बिगड़ी हुई आंखें आदि।

मायोपिया की रोकथाम कैसे की जाती है ?

  • अध्ययनों से पता चला है कि अधिक समय बाहर बिताने से मायोपिया के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। बच्चों के लिए आउटडोर एक्टिविटी ख़ास ज़रूरी है। 
  • लंबे समय तक पढ़ने, लिखने या कंप्यूटर, स्मार्टफोन का उपयोग करने से मायोपिया का खतरा बढ़ सकता है। बार-बार ब्रेक लेने और हर 20 मिनट में स्क्रीन या किताब से दूर देखने और आंख की मांसपेशियों को आराम देने के लिए किसी दूर की वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है।
  • खराब पॉस्चर से आंखों में खिंचाव हो सकता है और मायोपिया का विकास हो सकता है। पढ़ने, लिखने या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते समय अच्छी मुद्रा बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
  • एक स्वस्थ आहार जो विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है, विशेष रूप से विटामिन ए और सी, आंखों के स्वास्थ्य का समर्थन करने और मायोपिया के जोखिम को कम करने में मददगार साबित होते है।
  • नियमित आँखों की जाँच से किसी भी दृष्टि परिवर्तन का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है और शीघ्र उपचार भी किया जा सकता है।
  • पढ़ने, लिखने या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करते समय पर्याप्त प्रकाश होना महत्वपूर्ण है। सुनिश्चित करें कि प्रकाश स्रोत बहुत उज्ज्वल या बहुत मंद ना हो।
  • यदि आपके पास मायोपिया का पारिवारिक इतिहास है या आपकी दृष्टि में कोई बदलाव दिखाई देता है, तो आंखों की जांच और सुधारात्मक लेंस के लिए नेत्र चिकित्सक के पास जाना जरूरी है।

सुझाव :

आप मायोपिया की समस्या से बहुत ज्यादा परेशान है तो इससे बचाव के लिए आपको मित्रा आई हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। वहीं आपको बता दे की हमारे हॉस्पिटल के नेत्र रोग विशेषज्ञ को मायोपिया, हाइपरोपिया और एस्टिग्मेटिज्म की गहरी समझ और लेसिक सर्जरी में महारत हासिल है। ये सर्जन अब तक मायोपिया की हजारों सफल लेसिक सर्जरी कर चुके है। अगर आप भी अपने शहर के बेस्ट क्लिनिक में कम से कम खर्च में मात्र एक दिन में मायोपिया से छुटकारा पाना चाहते है, तो इस हॉस्पिटल से संपर्क करें।

निष्कर्ष :

आँखों में किस भी तरह की समस्या गंभीर मानी जाती है, इसलिए अगर आपको भी दूर की वस्तुओं को देखने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो इससे बचाव के लिए आपको किसी अनुभवी डॉक्टर के संपर्क में आना चाहिए। और ध्यान रहें किसी भी तरह की सर्जरी को करवाने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें। 


मायोपिया और दृष्टिवैषम्य के लिए लेसिक सर्जरी
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मायोपिया के क्या है – लक्षण, कारण, इलाज व बचाव के तरीके ?

    September 25, 2023 6320 Views

अकसर क्या हो व्यस्क और क्या हो बच्चे सबके द्वारा मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप की स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताया जाता है, जिसकी वजह से उनके आँखों पर गलत प्रभाव पड़ता है, और इन उपकरणों का अधिक इस्तेमाल करने के कारण उन्हें दूर की चीजों को देखने में समस्या का सामना करना पड़ता है। वहीं इस समस्या को मायोपिया के नाम से जाना जाता है, इसके अलावा इस समस्या के क्या कारण है, इसके लक्षण किस तरह के नज़र आते है और इससे हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है, इस संबंधी आज के लेख में बात करेंगे ;

मायोपिया के क्या कारण है ?

  • खराब जीवनशैली के कारण आपको पास की चीजों को देखने में समस्या का सामना करना पड़ता है। 
  • आँखों के बॉल की लंबाई का बढ़ना। 
  • कॉर्निया का बेहद सुडौल होना। 
  • मायोपिया अनुवांशिक कारणों में भी गिना जा सकता है। 
  • शराब और सिगरेट का सेवन करने के कारण। 
  • प्राकृतिक रौशनी में कम से कम समय बिताने के कारण। 
  • टीवी, मोबाइल या लैपटॉप के सामने अधिक समय बिताने के कारण। 
  • पढ़ते या स्क्रीन पर कुछ देखते समय आवश्यक दूरी का ध्यान न रखने के कारण आपको पास की चीजों को देखने में समस्या का सामना करना पड़ता है।

मायोपिया क्या है ?

  • मायोपिया आंखों की निकट दूरदृष्टि से जुड़ी एक समस्या है। इस स्थिति में आप दूर की वस्तुओं को स्पष्ट तरीके से नही देख पाते है, परंतु आपको पास की वस्तु स्पष्ट तौर पर दिखाई देती है। 
  • मायोपिया की उपस्थिति में आंखों के कॉर्निया का आकार बदलने लगता है और इसी के कारण हमें केवल पास की वस्तुएं ही साफ दिखाई देती है। मायोपिया किसी भी उम्र में हो सकता है, परंतु आप करेक्टीव लेंस पहनकर या फिर आंखों की सर्जरी करवाकर इस समस्या को दूर कर सकते है।
  • वहीं यह समस्या आमतौर पर 40 वर्ष की आयु के लोगों को अपनी गिरफ्त में लेती है, लेकिन आजकल के लाइफस्टाइल के कारण यह समस्या बच्चों में भी आम हो गई है। यही वजह है कि जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते है, उनकी आंखों की स्थिति खराब होती जाती है और एक निश्चित उम्र तक पहुंचने तक वह भी मोयोपिया के शिकार हो जाते है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि मायोपिया को प्राकृतिक रूप से भी ठीक किया जा सकता है, लेकिन अध्ययनों से यह पता चला है कि लोगों के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्राकृतिक प्रक्रियाएं और विधियां मायोपिया पर पूरी तरह से असरदार नहीं है, लेकिन यह प्राकृतिक प्रक्रियाएं बढ़ते बच्चों में इसकी प्रगति को धीमा कर सकती है।
  • अगर आप दूर की चीजों को देखने में पूरी तरह से असमर्थ है, तो इसके लिए आपको अपने आँखों के लिए मायोपिया का इलाज करवाना चाहिए।

मायोपिया के दौरान किस तरह के लक्षण नज़र आते है ?

  • दूर की वस्तुओं का धुंधला दिखाई देना। 
  • आंखों में खिंचाव और सिरदर्द का अहसास होना। 
  • टेलीविजन, मूवी स्क्रीन या क्लास की सबसे पहली सीट पर बैठने की जरूरत महसूस करना। 
  • ठीक से देखने के लिए पलकों को बंद या आंशिक रूप से बंद करने की आवश्यकता का महसूस करना। 
  • विशेष रूप से रात में वाहन चलाते समय देखने में कठिनाई होना। जिसे नाइट मायोपिया कहा जाता है।
  • निश्चित भेंगेंपन की समस्या का सामना करना।  
  • बार-बार जरूरत से ज्यादा पलक को झपकाना। 
  • आँखों को बार-बार रगड़ना। 
  • आँखों में थकावट का अहसास होना आदि। 
  • आपकी आँखों में अगर इस तरह के लक्षण नज़र आए तो इससे बचाव के लिए आपको पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

मायोपिया के कितने प्रकार है ?

मायोपिया को सामान्यतः तीन भागों में बाटा जाता है, जिनके बारे में हम निम्न में चर्चा करेंगे ; 

  • पैथोलॉजिकल (Pathological) मायोपिया :

यह आंख की अक्षीय ऊंचाई, असामान्य और अत्यधिक विकास के कारण होता है। यह 6 साल की उम्र से पहले विकसित नहीं होता है।

  • विद्यालय युग (School age) के दौरान आई मायोपिया की समस्या :

यह 6-18 वर्ष की आयु के भीतर होता है। यह देर किशोरावस्था से लेकर 20 की उम्र तक स्थिर माना जाता है।

  • वयस्क की शुरुआत (Adult-onset) में आने वाली मायोपिया की समस्या :

इस मायोपिया की शिकायत 20 से 40 वर्ष के प्रारंभिक वयस्कों में देखने को मिलती है।

मायोपिया का निदान कैसे किया जा सकता है ?

  • मायोपिया के निदान की बात करें, तो व्यस्को की इसके लिए, 40 साल की उम्र में पहली आँखों की जांच को करवाना चाहिए। 
  • 40 से 54 की उम्र के बीच हर 2 से 4 साल में फिर से आँखों की जाँच को करवाना। 
  • 55 से 64 आयु के बीच हर 1 से 3 साल के बीच आँखों की जाँच को करवाते रहना। 
  • यहां तक ​​कि शुरुआती 65 साल की उम्र में हर 1 से 2 साल में अपने आँखों के चेकउप को करवाते रहना।  
  • वहीं बच्चों और किशोरों को, 6 वर्ष की आयु में मासिक जांच को करवाना। 
  • 3 साल की उम्र में अर्ली चेकअप को करवाना। 
  • पहली बार और स्कूल के समय के दौरान हर 2 साल पहले चेकउप करवाना।

मायोपिया का इलाज कैसे किया जाता है ?

  1. मायोपिया के इलाज के लिए नॉन-सर्जिकल इलाज की बात करें, तो इसमें चश्मा और कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग शामिल है। चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस की मदद से प्रकाश को रेटिना पर केंद्रित किया जाता है। चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस के निगेटिव नंबर मायोपिया की गंभीरता की ओर इशारा करते है। मायोपिया जितना गंभीर होगा, निगेटिव नंबर उतना ही अधिक होगा।
  • वहीं मायोपिया के लिए चश्में की बात करें, तो दृष्टि को साफ और तेज करने का सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है। चश्मा में कई प्रकार के लेंस का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सिंगल विजन, बाई-फोकल्स और प्रोग्रेसिव मल्टी-फोकल लेंस आदि शामिल है।
  • मायोपिया के लिए कॉन्टेक्ट लेंस जोकि सीधे आँखों में लगाया जाता है। ये लेंस कई प्रकार के पदार्थों से बने होते है। इनकी डिजाइन भी अलग-अलग होती है, जिसमें मुलायम, कठोर, टोरिक और मल्टी-फोकल आदि शामिल हैं।
  • मायोपिया में चश्मा या कॉन्टेक्ट का इस्तेमाल प्रभावशाली साबित हो सकता है। लेकिन इनका इस्तेमाल करने से पहले इस बारे में अपने डॉक्टर से एक बार जरूर सलाह लें। और इनके फायदों और संभावित जोखिमों के बारे में जानकारी प्राप्त करें। फिर संतुष्टि होने के बाद ही इनका प्रयोग करें।
  1. मायोपिया के लिए सर्जिकल इलाज का सहारा लेना, और इसमें चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस का प्रयोग नहीं किया जाता है। ऐसे में वे सर्जरी का चुनाव करते है। सर्जरी से मायोपिया का इलाज कई तरह से किया जाता है। इसमें लेजर इन सीटू किरेटोमिल्युसिस (लेसिक), लेजर असिस्टेड सबएपिथेलियल किरेटोमिल्युसिस, फोटोरिफ्रेक्टिव केरटेक्टोमी और इंट्राऑकुलर लेंस प्रत्यारोपण शामिल है।
  • लेजर असिस्टेड सबएपिथेलियल किरेटोमिल्युसिस से भी मायोपिया का इलाज किया जा सकता है। 
  • फोटोरिफ्रेक्टिव केराटेक्टोमी से मायोपिया का इलाज करना। 
  • इंट्राऑकुलर लेंस प्रत्यारोपण से मायोपिया का इलाज करवाना। 
  • अगर मायोपिया की समस्या आपके आँखों में काफी गंभीर हो गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको सर्जिकल इलाज की प्रक्रिया का चयन करना चाहिए। और आप चाहे तो इस सर्जरी को मित्रा आई हॉस्पिटल से भी करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

मायोपिया की समस्या गंभीर ज्यादा न बने इसके लिए आपको इसके लक्षणों का खास ध्यान रखना चाहिए और किसी भी तरह के इलाज का चयन करने से पहले एक बार अनुभवी आँखों के डॉक्टर से जरूर सलाह लें। 

इसके अलावा अगर आप मायोपिया की समस्या से खुद का बचाव करना चाहते है, तो इसके लिए आपको चश्में या कंटेंट लेंस का सहारा लेना चाहिए।


What are the top eye care tips your ophthalmologist wants you to know?
Optometrist performing eye examination at Mitra Eye Hospital for comprehensive eye care.
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आँखों की एलर्जी के क्या है – प्रकार, लक्षण, कारण और उपचार के तरीके ?

    September 11, 2023 11621 Views

आँखों के एलर्जी की बात करें तो आज के समय में इस समस्या से हर व्यक्ति जूझ रहा है और आँखों की समस्या काफी दुखदायक मानी जाती है, तो वहीं इस तरह की एलर्जी से हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है, इसके कारण क्या है, इसके लक्षणों को जानकर हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है, साथ ही आप या आपका कोई करीबी इस तरह की समस्या का सामना कर रहा है तो इससे बचाव के लिए आपको लेख को अंत तक जरूर से पढ़ना चाहिए ;

आँखों में एलर्जी की समस्या क्या है ?

  • आंख में एलर्जी को एलर्जिक कंजक्टिविटीस के नाम से भी जाना जाता है। आंख में जलन पैदा करने वाले किसी भी पदार्थ के संपर्क में आने पर आंख इनके प्रति प्रतिक्रिया देने लगती है, जिसकी वजह से आंख में एलर्जी पैदा होती है। इन पदार्थों को एलर्जेंस कहा जाता है। 
  • शरीर के इनको प्रतिक्रिया देने पर एलर्जिक रिएक्शन पैदा होने लगते है। सामान्यतः इन नुकसानदायक कणों के प्रति हमारा इम्यून सिस्टम शरीर की रक्षा करता है। यह कण  वायरस और बैक्टीरिया होते है, जो बीमारी फैलाते है।
  • हालांकि, आंख में एलर्जी वाले लोगों में इम्यून सिस्टम इन एलर्जेंस के प्रति एक गलती करता है। इसकी वजह से इम्यून सिस्टम एक कैमिकल बनाता है, जो इन एलर्जेंस से लड़ता है। यहां तक कि यह नुकसानदायक होता है। इन दोनों के आपस में होने वाले रिएक्शन से कई प्रकार के जलन के लक्षण जैसे खुजली, लालिमा और वॉटरी आइज सामने आते है। 
  • कुछ लोगों में आंख में एलर्जी एग्जेमा (Eczema) और अस्थमा से जुड़ी होती है। वहीं एलर्जी को दूर करने के लिए दवा भी दी जाती है।

आँखों में एलर्जी होने पर आपको पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

आँखों में एलर्जी के लक्षण क्या है ?

  • आंख में खुजली या जलन की समस्या का सामना करना। 
  • आंख का लाल या गुलाबी रंग का होना। 
  • आंखों के चारो तरफ स्केलिंगस की समस्या।  
  • आंख की पुतली में सूजन या पफी होना, विशेषकर सुबह के वक्त। 
  • एक या दोनों आंखों का प्रभावित होना। कुछ मामलों में यह लक्षण नाक बहने, कंजेशन या छींक के साथ आ सकते है।

इन लक्षणों के अलावा अगर इसके लक्षण ज्यादा गंभीर नज़र आने लगें, जैसे आपको देखने में समस्या का सामना करना पड़े, तो इससे बचाव के लिए आपको पंजाब में लेसिक सर्जरी का चयन करना चाहिए।

आँखों में एलर्जी के कारण क्या है ?

  • पराग (Pollen) के कारण।
  • रूसी के कारण। 
  • फफूंद या मोल्ड के कारण। 
  • धुंए के कारण।  
  • धूल के कारण।

आँखों में एलर्जी के इलाज क्या है ?

आँखों की एलर्जी से बचाव के लिए डॉक्टर दवाइयां लेने की सलाह देते है, जैसे ;

  • एंटीहिस्टामाइन, लोरटाडाइन (loratadine) या डिफेनहाइड्रामाइिन, बेनाड्रिल (Benadryl) दवाइयों को आँखों की एलर्जी के लिए प्रयोग किया जाता है। 
  • डिकंजेस्टेंट जैसे स्यूडोएफीड्रीन (pseudoephedrine) सुडाफेड (Sudafed) या ऑक्सीमेटाजोलाइन (oxymetazoline) एफ्रिन नेजल स्प्रे (Afrin nasal spray) स्टेरॉयड जैसे प्रेडिनोसोन (prednisone) डेल्टासोन (Deltasone) आदि सभी दवाइयां आँखों की एलर्जी के लिए डॉक्टर लेने की सलाह देते है।

दूसरा है एलर्जी शॉट्स, जैसे ;

जब दवाओं से एलर्जी के लक्षण ठीक न हो तो एलर्जी शॉट्स की सलाह दी जा सकती है। एलर्जी शॉट्स इम्यूनोथेरेपी का एक रूप होते है, जिसमें एलर्जी के कई इंजेक्शन लगाए जाते है। समय के हिसाब से इंजेक्शन में मेडिसन की मात्रा बढ़ा दी जाती है। यह एलर्जी शॉट्स बॉडी के एलर्जेन के प्रति प्रतिक्रिया करने के तरीके में बदलाव करते है।

तीसरा है आँखों का ड्रॉप ;

इसमें आंख की एलर्जी से बचाव के लिए कई प्रकार के प्रिस्क्रिप्शन और ओवर-दि-काउंटर आई ड्रॉप उपलब्ध है। आंख की एलर्जी में ओलापाटाडाइन हाइड्रोक्लोराइड वाले आई ड्रॉप की सलाह दी जाती है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो प्रभावी रूप से एलर्जी से जुड़े हुए लक्षणों में राहत प्रदान करता है।

सुझाव :

आप चाहें तो आँखों के एलर्जी का ईलाज़ मित्रा आई हॉस्पिटल से भी करवा सकते है, वहीं इस हॉस्पिटल में आँखों से जुडी किसी भी तरह की समस्या का इलाज काफी किफायती दाम में किया जाता है, इसके अलावा खास बात इस हॉस्पिटल की ये है की यहाँ पर आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है इलाज के लिए। और इस हॉस्पिटल के डॉक्टरों का अनुभव भी काफी सालों का है।  

निष्कर्ष :

आँखों से जुडी किसी भी तरह की समस्या से बचाव के लिए आपको एक बार डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए, और किसी भी तरह के उपाय को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :

आप आंखों की एलर्जी का कारण कैसे सुनिश्चित कर सकते है ?

आँखों के एलर्जी के कारणों में सामान्य रूप से हानिकारक पदार्थों के आँखों में गिरने के कारण हो सकते है।


शुरुआती दौर में आंखों के कमजोर लक्षणों को न करे नज़रअंदाज़ !
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आंख फड़कने को न जोड़े शगुन और अपशगुन से, बल्कि जानिए क्या है इसकी असलियत ?

    September 4, 2023 4045 Views

आँखों का फड़कना या आँखों में किसी भी तरह की मरोड़ की समस्या आए तो इससे बचाव के लिए आपको अपनी आँखों को और मरोड़ने से बचना चाहिए और आँखों में मरोड़ या अन्य आँखों से जुडी समस्या को हम कैसे हल कर सकते है इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ; 

क्या है आँखों का फड़कना ?

  • आंखों के फड़कने को मेडिकल की भाषा में मायोकिमिया (Myokymia) कहा जाता है। वहीं जब आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती है, तो वो फड़कने लगती है। इसके कई आम कारण होते है। लेकिन ज्‍यादातर मामलों में स्‍ट्रेस, आई स्ट्रेन, नींद की कमी और एल्कोहल का अधिक सेवन होता है। 
  • इसके अलावा जिन्हें वजन संबंधी प्रॉब्लम्स होती है, उनकी आंखों पर अधिक जोर पड़ने लगता है जिसके कारण उनकी आंखें फड़कने लगती है।
  • वहीं आंखों के फड़कने को बहुत से लोग अन्धविश्वाश के साथ जोड़ते है, जोकि कही न कही उनका ये मानना गलत है। 

इसके अलावा अगर आपकी आंखें जरूरत से ज्यादा फड़क रहीं है, तो इससे बचाव के लिए आपको पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन जरूर करना चाहिए।

आंख फड़कने के क्या कारण हो सकते है ? 

  • तनाव को झेलने के कारण भी आपको आँखों से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 
  • थकान होने के कारण भी व्यक्ति की आँखों में समस्या हो सकती है। 
  • किसी चीज को देखने में थकान का महसूस करना। 
  • कैफीन का सेवन जब हमारे द्वारा ज्यादा किया जाता है, तो भी आपको इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ है।   
  • शराब का सेवन करने वाले भी इस तरह की समस्या का सामना कर सकते है।
  • जिन लोगों की सूखी आंखें है, उनकी आंखें भी फड़क सकती है। 
  • पोषण संबंधी समस्याएं भी आँखों पर गलत प्रभाव डाल सकती है।  
  • आँखों में किसी न किसी तरह की एलर्जी की समस्या। 

यदि आपको आँखों में दूर या पास का देखने या दृष्टि संबंधी किसी भी तरह की समस्या आ रहीं है, तो इससे बचाव के लिए आपको पंजाब में लेसिक सर्जरी का चयन डॉक्टर के कहने पर जरूर करना चाहिए।

आँखों की ऐठन को हम कैसे रोक सकते है ? 

  • कैफीन का सेवन यदि आप करते है तो उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार करें। 
  • पर्याप्त नींद लेकर भी आप इस समस्या से खुद को आसानी से बाहर निकाल सकते है।  
  • तनाव को कम करके भी आप इससे खुद का बचाव कर सकते है। 
  • आंखों में जलन के अन्य स्रोतों को कम करें। 
  • जरूरत पड़ने पर धूप का चश्मा पहनें। 
  • बिना डॉक्टर के पूछे किसी भी तरह की दवाई का सेवन न करें।
  • दिमाग और आंखों को आराम देकर भी आप इस तरह की आँखों से खुद का बचाव कर सकते है।
  • डाइट में सुधार लाए। 
  • सामान्य सी भी आँखों से सम्बन्धित समस्या दिखने पर जल्द डॉक्टर का चयन करो।

आँखों की मरोड़ व ऐठन से बचाव के घरेलु उपाय !

  • यदि आपके आँखों में मरोड़ है, तो इसका मतलब ये है की आपकी आंखों को पोटेशियम और मैग्नीशियम की जरूरत है। और ये जरूरत केले का सेवन करने से पूरा किया जा सकता है।
  • यदि आपके द्वारा आँखों पर गर्म सिकाई की जाती है, तो भी आपको काफी फर्क महसूस होगा। 
  • गर्म पानी के छींटे मारने से भी आपकी आंखें फड़कना बंद कर देती है।  
  • गुलाब जल को ठंडा करके रुई की मदद से आँखों पर रखें, जिससे आपको काफी आराम महसूस होगा। 
  • आलू की स्लाइड्स को काट कर इनको आँखों पर रखने से भी आपको काफी आराम मिलेगा। 

आँखों के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

यदि आपकी आंखे फड़कना बंद न करें और आपकी समस्या को बढ़ाते जाए तो इससे बचाव के लिए आपको मित्रा आई हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।  

निष्कर्ष :

आँखों की सामान्य सी भी समस्या को कृपया नज़रअंदाज़ ना करें, बल्कि समय पर किसी अनुभवी डॉक्टर का चयन जरूर करें ताकि भविष्य में चलकर आपको दृष्टि खोने की नौबत न आए।

 


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