Book an Appointment
Call Now
9501116997
Whatsapp
9501116997
Skip to the content
Open Hours: Monday to Saturday - 10am to 6pm
mitraeyehospital@gmail.com
9501116997
MitraeyehospitalMitraeyehospital
  • About Us
    • Vision & Mission
    • Technology
    • Dr. Akshay Mitra
    • Dr. Harinder Mitra
  • Services
    • Wavelight Plus InnovEyes
    • Contoura Vision
    • Blade Free Cataract Surgery
    • Lasik Surgery
    • Vitreoretinal Surgery
    • Glaucoma Management
    • Oculoplastic Surgery
    • Squint Management
    • Keratoconus
    • Eye Strain
    • Eye Trauma
    • Refractive Eye surgery
    • General Eye Examination
    • Paediatric Eye Care
    • Amblyopia
    • Retinal Detachment
    • Diabetic Retinopathy
    • Red Eyes
    • Floaters
    • Night Blindness
    • Automated Robotic Cataract Surgery
  • Gallery
  • Videos
  • Book An Appointment

यह गंभीर समस्या आपकी आंखों की रोशनी पर असर डाल सकती है, डॉक्टर से जाने जाने इसके कारण और लक्षण

Home   : :  eye care • Hindi
  • About Us
    • Vision & Mission
    • Technology
    • Dr. Akshay Mitra
    • Dr. Harinder Mitra
  • Services
    • Wavelight Plus InnovEyes
    • Contoura Vision
    • Blade Free Cataract Surgery
    • Lasik Surgery
    • Vitreoretinal Surgery
    • Glaucoma Management
    • Oculoplastic Surgery
    • Squint Management
    • Keratoconus
    • Eye Strain
    • Eye Trauma
    • Refractive Eye surgery
    • General Eye Examination
    • Paediatric Eye Care
    • Amblyopia
    • Retinal Detachment
    • Diabetic Retinopathy
    • Red Eyes
    • Floaters
    • Night Blindness
    • Automated Robotic Cataract Surgery
  • Gallery
  • Videos
  • Book An Appointment

Category: Hindi

Categories
eye care Hindi

यह गंभीर समस्या आपकी आंखों की रोशनी पर असर डाल सकती है, डॉक्टर से जाने जाने इसके कारण और लक्षण

    September 1, 2025 162 Views

आंखे हमारे शरीर के मुख्य अंगों में से एक हैं। दरअसल आंखें हमारे जीवन में रंगों के महत्व को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका को निभाती हैं। आमतौर पर आंखें ठीक होने से ही हम दुनिया के रंगों को अच्छे तरीके से देख पाते हैं और इसके साथ ही अपने जीवन के सभी कामों को आसानी से कर पाते हैं। आप कल्पना कीजिये अगर आपके चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो, और कहीं पर भी उजाला न हो, तो सोचिए इस कल्पना मात्र ही आप कितना ज्यादा घबरा जाते हैं, आप इस चीज को सोचने से भी बचेंगे। एक यही कारण है, कि आपको अपनी सेहत के साथ -साथ अपनी आँखों का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए, पर कुछ लोगों को इंफेक्शन और ब्रेन से जुड़ी समस्याओं के चलते आँखों से संबंधित परेशानी जैसे कि हेमियानोप्सिया हो सकता है। 

बता दें की यह एक किसम का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें एक व्यक्ति आमतौर पर अपनी एक आंख या दोनों आंखों के एक हिस्से की नज़र को खो देता है। दरअसल इसको आम भाषा में आधी नज़र का नुक्सान भी कहा जाता है। इस लेख के माध्यम से डॉक्टर से इसके बारे में विस्तार से जानकारी लेंगे की आखिर हेमियानोप्सिया क्या होता है, और आंखों से केवल आधा हिस्सा दिखाई देने की समस्या किन कारणों से होती है और इसके क्या लक्षण होते हैं?

हेमियानोपिया क्या है?

दरअसल हेमियानोपिया, जिसको हेमियानोप्सिया के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर यह तब होता है, जब कोई व्यक्ति दिमाग या ऑप्टिक तंत्रिका को नुक्सान पहुंचने की वजह से अपने दृश्य क्षेत्र के कुछ हिस्सों में नज़र को खो देता है। इसमें  व्यक्ति किसी भी चीज को पूरा देखने में असमर्थ हो जाता है। बता दें कि यह स्थिति व्यक्ति की दोनों आंखों की नज़र को परभावित करती है। हर आँख में दृष्टि क्षेत्र का प्रभावित क्षेत्र एक जैसा या फिर बिलकुल अगल हो सकता है और यह इस बात पर निर्भर करता है, कि दिमाग के कौन से हिस्से को नुकसान पहुंचता है। 

आमतौर पर स्ट्रोक या फिर दिमाग की गंभीर चोट लगने के बाद ही हेमियानोपिया की समस्या लोगों में देखी जाती है। आमतौर पर नज़र का नुक्सान हल्का या फिर गंभीर हो सकता है। इस समस्या में किसी भी व्यक्ति को बाएं या दाएं तरफ नज़र का नुक्सान हो सकता है, हालांकि आंखें पूरी तरह से स्वस्थ लग सकती हैं। इसके कारण के आधार पर, इलाज से नज़र में सुधार करना संभव है, पर आमतौर पर हेमियानोपिया के कुछ मामले कभी ठीक नहीं हो सकते हैं। 

हेमियानोपिया के कितने प्रकार होते हैं?

वैसे तो हेमियानोपिया के कई प्रकार हैं, जो प्रभावित दृश्य क्षेत्र के स्थान और आकार द्वारा निर्धारित किये जाते हैं। 

हॉमोनीयस हेमियानोप्सिया 

दरअसल हॉमोनीयस हेमिअनोप्सिया में एक ही दिशा में दोनों आँखों की नज़र चली जाती है। आमतौर पर यह दिमाग के विजुअल कॉर्टेक्स या ऑप्टिक ट्रैक्ट में हुए नुक्सान की वजह से होता है। बता दें कि इसकी किस्मों में बाइनेजल या बाइटेम्पोरल हेमिअनोप्सिया और क्वाड्रंटनॉप्सिया को शमिल किया जाता है। 

बाइने जल या बाई टेम्पोरल हेमियानोपिया

  • बाइनेजल : दरअसल बाइनेजल हेमिअनोप्सिया आमतौर पर दोनों आंखों के अंदरूनी हिस्से में नज़र का नुक्सान होता है। 
  • बाइटेम्पोरल : दरअसल इसमें आमतौर पर दोनों आंखों के बाहरी हिस्से में नज़र का नुक्सान होता है। 

दरअसल यह समस्या अक्सर पिट्यूटरी ग्लैंड ट्यूमर या फिर ऑप्टिक चिआज्म पर दबाव की वजह से होती है। 

क्वाड्रंटनॉप्सिया 

आमतौर पर क्वाड्रंटनॉप्सिया में दृश्य क्षेत्र का एक चौथाई हिस्सा प्रभावित होता है, जैसे कि ऊपर बाएं या नीचे दाएं।

हेमियानोप्सिया के लक्षण क्या होते हैं? 

आपको बता दें कि हेमियानोप्सिया आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित हो सकता है, या फिर यह अचानक स्ट्रोक या चोट लगने के तुरंत बाद विकसित हो सकता है। हालांकि, कुछ लक्षण हैं, जो हेमियानोपिया का संकेत दे सकते हैं, जिनमें शामिल हैं : 

  1. पढ़ने में दिक्कत होना जैसे शब्दों का आधा हिस्सा न दिखाई देना। 
  2. व्यक्ति की एक आंख या दोनों आंखों के आधे हिस्से से कुछ भी दिखाई न देना। 
  3. व्यक्ति द्वारा चेहरे के आधे भाग को न देख पाना। 
  4. चीजों से टकराकर चलना या बार-बार चीजों से टकराना। 
  5. गाड़ी चलाते वक्त एक दिशा से आती हुई चीजें को न दिखना। 
  6. व्यक्ति द्वारा दिशाओं का ठीक से अंदाजा न लगा पाना। 
  7. व्यक्ति का भीड़ भरे वातावरण में भटक जाना। 

आमतौर पर कुछ लोग नज़र के इस नुक्सान को पहचान नहीं पाते हैं और सोचते हैं, कि उनकी आंखें ठीक हैं, जबकि उनकी यह समस्या दिमाग में होती है। 

हेमियानोप्सिया के कारण 

आमतौर पर हेमियानोप्सिया का मुख्य कारण दिमाग की दृष्टि से जुड़ी नसों या हिस्सों में नुकसान होना है। 

स्ट्रोक 

दरअसल स्ट्रोक हेमियानोप्सिया के सबसे आम कारणों में से एक है। जब दिमाग के किसी हिस्से को खून सप्लाई नहीं होता है, तो वहां की कोशिकाएं मरने लग जाती हैं, और विजुअल सिस्टम प्रभावित होता है। 

ब्रेन ट्यूमर 

आमतौर पर दिमाग में बढ़ने वाला कोई भी ट्यूमर ऑप्टिक नर्व या विजुअल कॉर्टेक्स पर अपना दबाव डाल सकता है और नज़र का नुक्सान कर सकता है। 

ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी 

आपको बता दें कि सिर पर चोट लगने से दिमाग की नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिसकी वजह से विजुअल फील्ड में कमी आती है।

इंफेक्शन या सूजन 

दरअसल कुछ न्यूरोलॉजिकल इंफेक्शन या मस्तिष्क में सूजन भी आमतौर पर नज़र को प्रभावित कर सकती है।

सर्जरी के बाद जटिलताएं

कई बार दिमाग के ट्यूमर या स्ट्रोक के लिए सर्जरी के बाद भी हेमियानोप्सिया विकसित हो सकता है।

कुछ सामान्य स्थितियां, जो हेमियानोपिया का कारण बनती हैं

जैसे कि आपको पता है, कि हेमियानोपिया का सबसे आम कारण स्ट्रोक है। हालांकि, ब्रेन ट्यूमर, सूजन और दर्दनाक दिमाग की चोटें भी अन्य संभावित कारण हैं। ऑप्टिक तंत्रिकाओं को कोई भी नुकसान आमतौर पर हेमियानोपिया का कारण बन सकता है। 

यहाँ कुछ कम सामान्य स्थितियां जो की हेमियानोपिया का कारण बनती हैं, उनमें शामिल हैं, जैसे 

  1. मल्टीपल स्क्लेरोसिस। 
  2. लिम्फोमा का होना 
  3. मिर्गी के दौरे पड़ना। 
  4. न्यूरोसिफिलिस। 
  5. अल्जाइमर रोग का होना। 
  6. असामान्य खून की नाड़िओं का गठन होना। 
  7. न्यूरो सर्जिकल प्रक्रियाओं का होना। 

हेमियानोप्सिया का इलाज कैसे किया जाता है? 

इस समस्या की पुष्टि करने के लिए आमतौर पर डॉक्टरों द्वारा विजुअल फील्ड टेस्ट, एमआरआई और सीटी स्कैन किया जाता है। दरअसल हेमियानोप्सिया का उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है। अगर स्ट्रोक, ट्यूमर या चोट इसके पीछे है, तो पहले उन का उपचार किया जाता है। 

  1. विजुअल रिहैबिलिटेशन थेरेपी : इसमें मरीज को दरअसल धीरे धीरे खोई हुई नज़र के साथ तालमेल बिठाना सिखाया जाता है। 
  2. ऑप्टिकल एड्स : इसमें मरीज के इलाज के लिए विशेष प्रकार के प्रिज्म चश्मे या मिरर लेंस का इस्तेमाल किया जाता है। 
  3. ट्रेनिंग और आंखों से जुड़े योग : दिमाग की ट्रेनिंग और आंखों से सबंधित योग करना, जिससे दिमाग बचे हुए विजुअल फील्ड का अच्छे से प्रयोग कर सके। 

निष्कर्ष

आंखें हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारे जीवन में रंगों के महत्व को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका को निभाती है। आँखों के ठीक न होने पर हम कुछ भी अच्छे से देख नहीं पाते हैं और कोई भी काम नहीं कर पाते हैं, इसलिए अपनी शारीरिक सेहत के साथ -साथ अपनी आँखों का भी अच्छे तरीके से ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। कुछ लोगों को इंफेक्शन और ब्रेन से जुड़ी समस्याओं के कारण आँखों से जुड़ी समस्या जैसे हेमियानोप्सिया सकता है। हेमियानोप्सिया एक गंभीर स्थिति है जो जीवन की गुणवत्ता पर असर डाल सकती है, पर इस की समय पर पहचान और ठीक उपचार से मरीज एक सामान्य जीवन जी सकता है। अगर कोई व्यक्ति अपनी आधी नज़र को खो दे या उसको पढ़ने और पहचानने में परेशानी हो, तो उसको तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सेहतमंद जीवनशैली, दिमाग की देखभाल और समय-समय पर आंखों की जांच आपको इस प्रकार की जटिलताओं से अपना बचाव करने में मदद कर सकती है। अगर आपको भी आँखों से सम्बंधित इस प्रकार की या कोई और समस्या है, और आप इस समस्या से काफी ज्यादा परेशान हैं और आप इसका इलाज करवाना चाहते हैं, तो आप आज ही मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लेसिक लेज़र सेंटर में जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते और विशेषज्ञों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

पूछे जाने वाले सवाल 

प्रश्न 1. क्या हेमियानोप्सिया से आंख की रोशनी पूरी तरह चली जाती है?

नहीं, इसमें नज़र का सिर्फ एक ही हिस्सा प्रभावित होता है, पूरी नज़र नहीं जाती। 

प्रश्न 2. क्या हेमियानोप्सिया का इलाज संभव होता है?

दरअसल हेमियानोप्सिया का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है। कभी -कभी विजुअल फील्ड लौट सकता है, मामलों में प्रबंधन और थेरेपी से सुधार किया जा सकता है। 

प्रश्न 3. क्या चश्मा पहनने से हेमियानोप्सिया ठीक हो सकता है?

इसके लिए आम चस्मा काम नहीं करता है, पर विशेष प्रिज्म लेंस कुछ हद तक नज़र में सुधार कर सकते हैं।


Categories
Hindi

तैराकी के बाद आंखें लाल और जलने क्यों लगती हैं ? जाने इस समस्या के 5 उपाय

    June 2, 2025 273 Views

गर्मिओं के दिनों में सभी लोग पानी के साथ एंजोये करते हैं, फिर चाहे वो एक साधारण सी जगा पर हों या स्विमिंग पूल जैसी जगहों पर, गर्मिओं में सभी को पानी बहुत अच्छा लगता है और सभी को इन दिनों में स्विमिंग करना भी बहुत ज्यादा पसंद होता है और ये स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज्यादा उपयोगी माना जाता है, ये हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करता यही और हमारी हड्डियों को भी लचीला बनाती हैं और तो और स्विमिंग का हमारी मेंटल हेल्थ पर भी अच्छा असर पड़ता है। लेकिन अपने अक्सर ये देखा होगा की तैराकी का अंदाज लेते वक्त आंखों में जलन और आँखें लाल दिखने लग जाती है। कई बरी ये इतनी गंभीर हो जाती यही की इसको ठीक होने में काफी समय लग जाता है और ये इस लिए होता है क्योकि स्विमिंग पूल के पानी में  केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है जिससे कि तैराकी के बाद आँखों में जलन और संक्रमण भी हो सकता है। 

जानेंगे कि आंखों की जलन को कैसे कम किया जा सकता है। 

स्विमिंग के बाद होने वाली आंखों में जलन का क्या करें? 

1.आंखों को सादे और साफ़ पानी से धोएं

स्विमिंग करते वक्त या इसके बाद आँखों में जलन होने लगती है क्योंकि स्विमिंग पूल के पानी में क्लेरिफायर जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पूल का पानी स्वच्छ रहता है और लंबे समय तक साफ रहता है और बड़ों और बच्चों के लिए इसमें स्विमिंग करना सेफ रहता है। हालाँकि फिर भी स्विमिंग के दौरान आँखों में केमिकल्स चला जाता है जिसकी वजह से जलन होने लगती है अगर ऐसा होता है तो आपको अपनी आँखों को सादे और साफ़ पानी से तुरंत धोना चाहिए इससे आपकी आँखों को राहत मिलती है। 

2. आंखों पर आइस पैक का इस्तेमाल करें 

स्विमिंग करते वक्त ऐसा बहुत बार होता है की हमारी आँखों में जलन महसूस होती है और कई बार आँखों में सूजन होने लगती है, इस तरीके की स्थिति में आइस पैक प्रभावी ढंग और आँखों के लिए लाभदायक होता है। सस्विंमिंग के दौरान आँखों में जलन हो अगर वह सादे पानी से भी ठीक न हो तो अपनी आँखों पर बर्फ का टुकड़ा या आइसपैक को आँखों पर मलना चाहिए। थोड़े वक्त के लिए अपनी आँखों को बंद रखें और बर्फ के टुकड़े को आराम आराम से मलें इससे वह जलन थीरे थीरे ठीक हो जाएगी। 

3. आंखों को रगड़े नहीं

स्विमिंग करने के बाद ध्यान रखें कि अपने हाथों से आँखों  को ना रगड़े क्योंकि स्विमिंग करने के दौरान इरिटेंट आपके हाथों में लग जाते हैं और उन्ही हाथों से अपनी आँखों को रगड़ना इससे आँखों में जलन और भी ज्यादा बढ़ सकती है और आँखों में रेडनेस आ सकती है। चाहे आखो मे जलन हो या कोई बाहरी प्रोडक्ट अगर वह आंखों में चला जाए तो व्यक्ति तुरंत अपनी आँखों को मलने लगते हैं जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं करना चाहिए इससे आँखों में संक्रमण भी हो सकता है। 

4. आई ड्रॉप यूज करें

स्विमिंग करते समय आँखों में जलन होना एक आम बात होती है अगर आंखों की जलन ज्यादा गंभीर हो जाये और इसको सहना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाये तो आपको इसमें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी है, सबसे पहले अपनी आँखों को आराम दे जलन को कम करें इससे भी आपको आराम महसूस नहीं होता है तो आप अपनी आँखों के लिए लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें इसके इस्तेमाल करने के बाद आपकी आँखों में से पानी आने लगता है और आंसू के जरिए इरिटेंट या फिर केमिकल जैसी चीजें आँखों में से निकल जाती हैं और आँखों की जलन कम हो जाती है। 

5. डॉक्टर से मिलें

स्विमिंग के दौरान आँखों में होने वाली जलन अगर साफ़ और सादे पानी से ठीक नहीं हो रही है और सभी उपाए करने पर भी कोई काम नहीं बन पाया है तो आप बिना किसी देरी और लापरवाही के डॉक्टर के पास जाये और डॉक्टर को अपनी आँखों को दिखाएँ ये पुरे तरिके से आपकी आँखों का इलाज करेगें और आपको असली वजह बताएंगे के क्या समस्या है। डॉक्टर की सलाह मानें और दी गयी दवाइओं को समय-समय उनका इस्तेमाल करें। इससे आपकी आँखों को राहत मिलती है। 

निष्कर्ष:

आज कल स्विमिंग करना सभी को पसंद है और गर्मिओं के दिनों में तो लोग इसको बेहद पसंद करते हैं और वह इसके दौरान आँखों की जलन का शिकार हो जाते हैं क्योकि स्विमिंग पूल के पानी में केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है जिसकी वजह से आँखें लाल और जलने लगती हैं। अगर ये गंभीर हो जाये तो तुरंत इसको डॉक्टर को दिखाएँ अगर आप भी ऐसी किसी परेशानी से पीड़ित हैं और वह लम्बे समय से ठीक नहीं हो रही है और इसका इलाज दंड रहे हो, इसके बारे में जानकारी लेना चाहते हो तो आप मित्रा आई हॉस्पिटल जाकर अपनी अपॉइंटमेंट को बुक करवा सकते हैं और इसके विशेषज्ञों से सलाह और जानकारी प्राप्त कर सकते  हैं।


ड्राई आई सिंड्रोम इसे पहचानें और प्रभावी तरीके से उपचार करें
Categories
Dry eyes Hindi

ड्राई आई सिंड्रोम क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण और कैसे करें उपचार ?

    December 7, 2024 1776 Views

हमारी आँखों में एक पतली सी फिल्म होती है जिसे टियर फिल्म कहा जाता है | यह फिल्म हमारी आँखों को नम रखने में काफी मदद करती है और उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है | जब टियर फिल्म में किसी कारणवश गड़बड़ी होने लग जाती है तो इससे आँखों में ड्राई आइस यानि सूखापन होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिसे आसान भाषा में आँखों में सूखापन की समस्या भी कहा जाता है | आज के समय में डिजिटल गैजेट्स का उपयोग इतना बढ़ गया है कि बहुत से लोग अपना अधिकतर इन उपकरणों में काम करने में ही बिता देते है, जो उनमें ड्राई आई सिंड्रोम होने की संभावना को बढ़ा देता है | इसके अलावा दो पहिया वाहन चलाते या फिर विमान में यात्रा करते समय भी ड्राई आईएस की समस्या हो जाती है | 

 

वैसे तो थोड़ी देर आँखों को आराम देने से आँखों में से सूखापन चला जाता है, लेकिन अगर आपकी आँखों में सूखापन लंबे समय तक बना रहता है यह आपके लिए एक चिंताजनक विषय बन सख्त है | यदि आप भी ऐसी ही किसी परिस्थिति से गुजर रहे है तो बेहतर यही है की इलाज के लिए आप तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें | इस विषय में मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लेसिक लेज़र सेंटर आपकी पूर्ण रूप से मदद कर सकता है | आइये जानते है इस विषय के बारें में विस्तारपूर्वक से :- 

ड्राई आई सिंड्रोम इसे पहचानें और प्रभावी तरीके से उपचार करें

ड्राई आई सिंड्रोम क्या होता है ?    

ड्राई आई सिंड्रोम, आँखों के स्वास्थ्य से एक ऐसी समस्या है, जिसमें आँखों में नमी बनाए रखने के लिए पर्याप्त आंसू का उत्पादन नहीं होता है या फिर आंसू सही तरीके से काम करना बंद कर देती है | यहाँ ऐसे कुछ मुख्य कारण है जो आपकी आँखों के सतह को नुकसान पहुंचाने का काम करती है, जैसे की आपकी आंसुओं की परत में गड़बड़ी आना, जिससे आपकी आँखों में सूजन आ सकती है | आंसुओं को टियर फिलम भी कहा जाता है, जिसकी बनावट तरल पदार्थ की तरह होती है और आँखों की सबसे ऊपर वाली परत से ढकी हुई होती है | 

 

हमारे आँखों में तीन तरह के परत मौजूद होते है :- फैटी आइल्स यानी चिकनाई, एक्वस फ्लूड यानी तरल और म्यूकस | इन तीनों परत के संयोजन से आँखों की सतह को चिकनी, मुलायम और स्पष्ट बनाये रखने में मदद करते है | जब इन परतों में किसी कारणवश समस्या होने लग जाती है तो इससे आपको ड्राई आई सिंड्रोम हो सकता है | आइये जानते है ड्राई आई सिंड्रोम के मुख्य लक्षण और कारण क्या है :-           

 

ड्राई आई सिंड्रोम होने के मुख्य लक्षण क्या है ? 

ड्राई आई सिंड्रोम होने के मुख्य लक्षणों में शामिल है :- 

 

  • आँखों में सूखापन और किरकिरापन होने का अनुभव होना 
  • आँखों का लाल होना 
  • आँखों से लगातार पानी का आना 
  • आँखों में अधिक तनाव होने का महसूस होना 
  • लगातार आँखों में खुजली होना 
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशील होना आदि |  

 

ड्राई आई सिंड्रोम होने के मुख्य कारण क्या है ? 

ड्राई आई सिंड्रोम होने के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार है :- 

 

  • पानी की कमी होने के कारण 
  • टीवी या फिर मोबाइल जैसे डिजिटल स्क्रीन के आगे अपना अधिकतर समय बिताना 
  • अनुचित दिनचर्या और ख़राब खानपान 
  • अधिक समय तक AC में बैठना 
  • बार-बार हवाई यात्रा करने से 
  • धूम्रपान 
  • शुष्क जलवायु या फिर हवादार परिस्थितियों में रहने से आदि |   

 

ड्राई आई सिंड्रोम से जुड़े कुछ जोखिम कारक 

  • बढ़ती उम्र भी ड्राई आई सिंड्रोम होने के जोखिम कारक को बढ़ाते है | 
  • विटामिन ए की कमी होने के कारण 
  • नियमित से अधिक कांटेक्ट लेंस का उपयोग ड्राई आई सिंड्रोम होने का कारण बनती है | 
  • ऑटोइम्म्युन डिजीज 
  • पूर्व रिफ्रैक्टिव सर्जरी का इतिहास होना आदि | 

 

ड्राई आई सिंड्रोम का मूल्यांकन कैसे किया जाता है ? 

ड्राई आई सिंड्रोम के कारणों को पहचाने के लिए कई तरह के टेस्ट और परीक्षण किये जाते है, जिनमें शामिल है :-

 

  • आई टेस्ट के माध्यम से आँखों के स्थिति की अच्छे से जांच की जाती है, ताकि ड्राई आई सिंड्रोम होने के प्रमुख कारणों को पहचाना जा सके | 
  • शिमर टेस्ट में आँखों में मौजूद आंसुओं की मात्रा को मापा जाता है | 
  • टियर ऑस्मोलेरिटी टेस्ट में आँखों के आंसुओं की संरचना की जांच की जाती है, क्योंकि ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों में आंसुओं के पानी की मात्रा काफी कम होती है | 
  • आंसुओं की गुणवत्ता की जांच के लिए इसके गुणवत्ता की भी जांच की जाती है |      

 

ड्राई आई सिंड्रोम का उपचार कैसे करें ?  

ड्राई आई सिंड्रोम का सटीक इलाज आमतौर पर उसके प्रकार और कारणों पर निर्भर करता है | ड्राई आई सिंड्रोम का कई तरीकों से इलाज किया जा सकता है | जिनमें शामिल है दवाएं, लैक्रिमल प्लगस, विशेष तरह के कांटेक्ट लेन्सेस का इस्तेमाल, लाइट थेरेपी और आई लिड मसाज | यदि आप भी ऐसी ही परिस्थिति से गुजर रहे है तो इलाज के लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लेसिक लेज़र सेंटर से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर हरिंदर मित्रा पंजाब के बेहतरीन ऑप्थलमोलॉजिस्ट में से एक है, जो पिछले 26 वर्षो से अपने मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए आज ही मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लेसिक लेज़र सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और परामर्श के लिए अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर मौजूद नंबरों से संपर्क कर सीधा संस्था से चयन कर सकते है |      


आंखों का भैंगापन होना क्या होता है और इसके मुख्य लक्षण कौन से है ?
आंखों का भैंगापन होना क्या होता है और इसके मुख्य लक्षण कौन से है ?
Categories
eye care Eye Hospital Hindi Squint Eye

आंखों का भैंगापन होना क्या होता है और इसके मुख्य लक्षण कौन से है ?

    November 27, 2024 4589 Views

मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर हरिंदर मित्रा ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया की आंखों का भैंगापन आंखों से जुडी गंभीर समस्याओं में से एक है | जिससे पीड़ित मरीज़ की दोनों आंखें एक संरेखित पर नहीं होती है | इसका तात्पर्य यह है की इस समस्या से पीड़ित मरीज़ की एक आंख एक चीज़ की ओर देखती है और दुसरी आंख दूसरी ओर पड़े वस्तु को देखती है | 

 

व्यक्ति की दोनों आंखों का सामान्य तौर पर बहुत ही अच्छा तालमेल होता है और दोनों ही आंखें एक ही दिशा पर या फिर एक ही बिंदु पर फोकस करती है | लेकिन कई मामले ऐसे भी है जिसमें कई लोग आंखों के भैंगापन जैसी समस्या से पीड़ित होते है | हलाकि यह समस्या के मामले सबसे ज्यादा बच्चों में पाए जाते है | जब मस्तिष्क दोनों आंखों से अलग-अलग दृश्य का संकेत प्राप्त करती है तो मस्तिष्क अक्सर कमज़ोर आंख से प्राप्त होने वाले संकेत को नज़रअंदाज़ कर देता है | जिस वजह से डबल विज़न की समस्या उत्पन्न हो जाती है | 

 

डॉक्टर हरिंदर मित्रा ने यह भी बताया की एक स्टडी से उन्हें यह पता लगा है की भैंगापन से अक्सर कई बच्चे जन्म से ही शिकार होते है, हालांकि यह समस्या जीवन में कभी भी उत्पन्न हो सकता है | यह समस्या किसी चोट के लगने से, किसी दुर्घटना की वजह से या फिर किसी गंभीर अवस्था के कारण विकसित हो सकता है | भैंगापन का सही समय पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होता है, अन्यथा यह समस्या आगे जाकर आपके देखने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है | 

 

यदि आप भी आंखों में भैंगापन की समस्या से जूझ रहे है और इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर से चयन कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर हरिंदर मित्रा ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है जो लेटेस्ट तकनीकों का इस्तेमाल से इलाज कर आंखों में भैंगापन जैसी समस्या से छुटकारा दिला सकते है | इसलिए आज ही मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |


मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद किन तरीकों से करें अपनी आंखों की देखभाल और की चीज़ों से रखें परहेज़
मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद किन तरीकों से करें अपनी आंखों की देखभाल और की चीज़ों से रखें परहेज़
Categories
Cataract Surgery Hindi

मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद किन तरीकों से करें अपनी आंखों की देखभाल और की चीज़ों से रखें परहेज़

    October 15, 2024 3354 Views

मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर के सीनियर कंसलटैंट डॉक्टर अक्षय मित्रा ने अपने यूट्यूब चैंनले में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया की जब भी आप मोतियाबिंद की सर्जरी करवाने जाते है तो इस बात का ज़रूर ध्यान रखें की कौन सी मशीन का उपयोग कर इस सर्जरी को किया जा रहा है | 

 

आपको बता दें कि, मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर में इस मोतियाबिंद सर्जरी को बड़े सहज और आसानी से किया जाता है | इस सर्जरी की प्रक्रिया में सबसे पहले आंख के लेंस को निकालकर उसकी जगह पर कृत्रिम लेंस का इम्प्लांट कर दिया जाता है, इसके साथ ही उस कृत्रिम लेंस के पावर को निकालना बेहद ज़रूरी होता है | इस लेंस की पावर को निकालने के लिए जिस मशीन का उपयोग किया जाता है, उस मशीन को आईयूएल मास्टर कहा जाता है | 

 

डॉक्टर अक्षय मित्रा ने यह भी बताया कि इस मशीन की लागत काफी ज़्यादा होने के कारण, यह आईयूएल मास्टर मशीन हर हॉस्पिटल और संस्था में उपलब्ध नहीं होती है | लेकिन घबराएं नहीं, पूरे डिस्ट्रिक्ट में यह मशीने सिर्फ मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर एकलौती ऐसी संस्था है, जिनके पास यह मशीन उपलब्ध है | इस मशीन के माध्यम से मरीज़ की आंखों में इम्प्लांट कृत्रिम लेंस की पावर और नंबर को बड़े ही एक्यूरेट तरीके से निकाला जाता है, जिससे मरीज़ को आंखों की सही दृष्टि प्राप्त हो सके | 

 

यदि आपके आंखों का विज़न मोतियाबिंद सर्जरी के बाद बिलकुल भी एक्यूरेट नहीं हो पायी है तो इसमें मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर आपकी संपूर्ण रूप से मदद कर सकता है | इस संस्था के सीनियर कंसलटैंट डॉक्टर अक्षय मित्रा ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है जो इस समस्या को आईयूएल मास्टर मास्टर की मशीन की सहायता के साथ कम कर सकते है | इसलिए आज ही मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिये गये नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक करें और इस वीडियो को पूरा देखिए | इसके अलावा मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर आपको इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो प्राप्त हो जाएगी |


पूनम रानी ने दी मित्रा आई हॉस्पिटल द्वारा की गयी सफलतापूवर्क कैटरेक्ट सर्जरी के बारे में संपूर्ण जानकारी
पूनम रानी ने दी मित्रा आई हॉस्पिटल द्वारा की गयी सफलतापूवर्क कैटरेक्ट सर्जरी के बारे में संपूर्ण जानकारी
Categories
Eye Hospital Hindi

पूनम रानी ने दी मित्रा आई हॉस्पिटल द्वारा की गयी सफलतापूवर्क कैटरेक्ट सर्जरी के बारे में संपूर्ण जानकारी

    August 9, 2024 2446 Views

मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर के यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से उनके हॉस्पिटल में आये मरीज़ ने यह बताया की उनका नाम पूनम रानी सहदेव है और इस हॉस्पिटल से उन्होंने अपने दोनों आँखों में मोतिया का ऑपरेशन करवाया है | ऑपरेशन पूरी तरह से सटीक और सफलतापूवर्क किया गया और इस ऑपरेशन से मिले परिणाम से वह बहुत खुश है | 

 

आज से कुछ साल पहले उन्हें इस बात का पता लगा था कि उनके दोनों आँखों में मोतियाबिंद की समस्या उत्पन्न हो गयी है | कई संस्थानों पर जाकर उन्होंने कई तरह के इलाज करवाए, लेकिन स्थिति में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा था, बल्कि स्थिति और भी गंभीर हो गयी थी | फिर किसी ने उन्हें यह बताया की मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर मोतियाबिंद समस्या का सटीक इलाज करते है | इसलिए बिना समय को देरी किये वह सीधा इस संस्था में अपना इलाज करवाने के लिए पहुंच गए | इस संस्था के सभी स्टाफ का स्वभाव बहुत अच्छा था और स्टाफ ने उन्हें अच्छे मार्गदर्शक भी दिया | 

 

इस संस्था में उनकी मुलाकात डॉक्टर अक्षय मित्र से हुई जो की आप्थाल्मालॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है | जांच-पड़ताल के बाद डॉक्टर ने उन्हें मोतियाबिंद सर्जरी करवाने की सलाह दी और उन्होंने इस सर्जरी को करने की मंज़ूरी भी दे दी | डॉक्टर अक्षय मित्रा ने सफलतापूर्वक उनकी आँखों का  मोतियाबिंद सर्जरी को किया| इस सर्जरी से मिले परिणाम से वह भी बहुत खुश है और साथ ही डॉक्टर्स से तेह दिल से शुक्रिय करते है | यदि कोई भी व्यक्ति मोतियाबिंद की समस्या से गुज़र रहा है तो उनकी सलाह यही है की वह अपना इलाज मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर से ही करवाएं | 

 

यदि आप में से कोई भी व्यक्ति मोतियाबिंद की समस्या से गुज़र रहा है और इलाज करवाना चाहता है तो इसके लिए मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंट  से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के पास ऐसे लेटेस्ट तकनीक और उपकरण मौजूद है जिसके उपयोग से यहाँ के डॉक्टर आँखों से जुडी समस्या का सटीक और सफलतापूवर्क इलाज कर सकते है |  इस लिए आज ही मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करे और इस वीडियो को पूरा देखें | इसके अलावा आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है |      


जाने एक्सपर्ट्स से क्या है कॉन्ट्योरा विज़न ?
जाने एक्सपर्ट्स से क्या है कॉन्ट्योरा विज़न ?
Categories
Hindi

कॉन्ट्योरा विज़न क्या है, इसमें कौन से सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है ?

    July 8, 2024 1956 Views

कॉन्ट्योरा विज़न एक ऐसी तकनिकी प्रक्रिया है जिसकी मदद से किसी भी व्यक्ति को लगे आधे नंबर से लेकर 8 नंबर तक के चश्मे को हटाया जा सकता है | वहीँ अगर किसी व्यक्ति के चश्मे का नंबर 8 से भी अधिक है तो उस मामले में एक्सपर्ट्स दूसरे सर्जरी का इस्तेमाल कर आंखों के लगे चश्मे को हटा देते है | आइये जानते है डॉक्टर अक्षय मित्रा से कैसे की जाती है इस सर्जरी की प्रक्रिया :- 

मित्रा आई हॉस्पिटल & लासिक लेज़र सेंटर के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर अक्षय मित्रा ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया की यह वीडियो उन्होंने इसलिए बनायीं है क्योंकि आप लोगों को यह पता लग सके की कॉन्ट्योरा विज़न के लिए सर्जरी की प्रक्रिया कैसे की जाती है और लासिक लेज़र सर्जरी के लिए कौन से मशीन और उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है और इसके साथ ही यह सर्जरी कहाँ से करवानी चाहिए, जिस की मदद से मरीज़ अधिक नंबर वालें चश्मे से मुक्ति पा सकते है |  

डॉक्टर अक्षय मित्रा ने यह बताया की सबसे पहली बात तो यह की लासिक लेज़र सर्जरी का रिजल्ट 90 प्रतिशत तक इस बात पर निर्भर करता है की इस सर्जरी के दौरान कौन से मशीन और उपकरण का उपयोग कर आँखों ऑपरेशन किया जा रहा है और बाकि जो 10 प्रतिशत रिजल्ट है वह इस बात पर निर्भर करता है की कौन सा विशेषज्ञ या डॉक्टर इस सर्जरी को अभिनय कर रहा है | आजकल यह देखा गया है की हर जगह नए-नए लासिक लेज़र सर्जरी के सेंटर खुल गए है | इन में कई सेंटरों में सर्जरी के लिए पुराने मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है | इस संस्थाओं से आपका ऑपरेशन कम लागत में तो हो जायेगा, लेकिन रिजल्ट उतना अच्छा नहीं आएगा, जितनी आप उम्मीद रखोगे | अक्सर यह देखा गया है की इन संस्थाओं से ऑपरेशन कराने के बाद कई मरीज़ को ग्लेयर्स या फिर फिलॉसकी की समस्या होने लग जाती है | 

डॉक्टर अक्षय मित्रा ने कहा की मित्रा आई हॉस्पिटल & लासिक लेज़र सेंटर में सर्जरी के लिए नए तकनीक और उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है | जिसकी मदद से हर मरीज़ को रिजल्ट 100 प्रतिशत तक सही मिलता है और इस सर्जरी के बाद से उन मरीज़ों को किसी भी प्रकार के दुष्प्रभावों से सामना नहीं पड़ता | 

इससे जुडी अधिक जानकारी के लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल & लासिक लेज़र सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बना कर पोस्ट की हुई है | इसके अलावा आप सीधा मित्रा आई हॉस्पिटल & लासिक लेज़र सेंटर से संपर्क भी कर सकते है | इस संस्था के सभी डॉक्टर्स ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है जो आपके आँखों में लगे चश्मे को हटाने में आपकी मदद कर सकते है |


क्या सुबह नंगे पैर घास पर चलने से बढ़ सकती है आँखों की रौशनी
क्या सुबह नंगे पैर घास पर चलने से बढ़ सकती है आँखों की रौशनी
Categories
Hindi

क्या सुबह नंगे पैर घास में चलने से बढ़ता है आँखों की रौशनी ? जानिए क्या है सच

    July 4, 2024 2431 Views

अक्सर लोगों का यह मानना है की हरी घास में नंगे पैर चलने से आँखों की रौशनी बढ़ने लगती है | क्या वाकई ऐसा हो सकता है | जानिए आँखों की रौशनी को बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए क्या नहीं :- 

आजकल के युग में कम उम्र के लोगों के भी आंखें कमज़ोर हो रही है | कहा जाता है की की सुबह नंगे पैर घास में चलने से आँखों के चश्मे का नंबर कम हो जाता है, यानी ऐसा करने से आँखों की रौशनी बढ़ सकती है | क्या वाकई ही ऐसा हो सकता है की सिर्फ घास में सुबह नंगे पैर चलने से आँखों की रौशनी बढ़ रही है | लेकिन साइंस ऐसा नहीं मानता, उनके मुताबिक इसके कोई तथ्य नहीं है की जिससे यह बोला जा सके की ऐसा करने से चश्मे का नंबर कम होता है | हालाँकि डॉक्टर्स का यह मानना है की छोटी उम्र में लगे चश्मे का का नंबर बड़े होकर कम हो सकता है | 

आँखों की रौशनी को बढ़ाने के लिए कई तरह के मिथ्स लोगों में काफी प्रसिद्ध है, भले ही इस मिथ्स पर आयुर्वेदिक विश्वाश करता हो लेकिन डॉक्टर्स इस बात पर बिलकुल भी विश्वाश नहीं करते है, उनके हिसाब से यह मिथ्स गलत है की नंगे पैर सुबह घास पर चलने से आपकी आँखों की रौशनी तेज़ हो रही है, हालाँकि सुबह घास नंगे पैर चलना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है | 

चश्मे के नंबर को कैसे कम किया जा सकता है ?       

कई बच्चों को काफी छोटी उम्र में चश्मे लग जाते है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ बच्चे की फिसिकल ग्रोथ भी होने लगती है | ऐसी स्थिति में कई बार बच्चों के आईबॉल का आकर भी बढ़ाने लगता है | जिसकी वजह से कई बार बच्चों के आँखों के चश्मे का पावर कम भी हो जाता है, यानि ऐसे स्थिति में चश्मे का नंबर कम हो सकता है | केवल यही स्थिति होती है जिसमे आँखों के चश्मे का नंबर घट सकता है, इसके इलावा ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे आप अपने चश्मे का नंबर कम कर सकती है | लेकिन अगर आप नियमित रूप से चश्मे को लगते है तो इससे आपकी आँखों का नंबर स्टेबल रह सकता है | अगर आपको नज़र कमज़ोर है और आप चश्मा नहीं लगा रगे है तो इससे आपको आंखों पर स्ट्रेन पड़ सकता है और चश्मे के नंबर बढ़ने का खतरा भी बढ़ सकता है | 

आँखों की रौशनी को कैसे बढ़ाया जा सकता है ? 

इसके लिए आपको ज्यादा से ज्यादा हरी सब्ज़ियां खानी पड़ेगी | हरी सब्ज़ियों में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व और विटामिन आँखों के लिए काफी फायदेमंद होते है, जो आँखों के सेहतमंद बनाने में मदद करती है | हरी सब्ज़ियों एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे तत्व से भरपूर होते है जो सेहत के साथ-साथ आँखों के लिए काफी फायदेमंद माने जाते है | 

आँखों को साफ़ पानी से ज़रूर धोएं 

आज के दौर बढ़ते स्क्रीन टाइम और पर्यावरण की वजह से आँखों की सेहत काफी ख़राब हो गयी है, इसलिए आँखों की सही तरीके से देखभाल करना बेहद ज़रूरी हो गया है | जब भी आप बाहर से घर को आये तो आँखों को एक बार साफ़ पानी से ज़रूर धो ले | इससे आँखों में जमा धुल-मिट्टी, एलेजरेंट और पॉलेन जैसे समस्या से बचाया जा सकता है | आँखों की रौशनी को बढ़ाने के लिए विटामिन ए से भरपूर संतुलित भोजन और फल-सब्जियों का सेवन ज़रूर करे | 

इससे संबंधित किसी प्रकार की जानकारी के लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर से संपर्क कर सकते है | इस संस्था के सभी डॉक्टर ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट्स है, जो इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है |


Categories
Cataract Surgery Hindi

आँखों में मोतियाबिंद रोग समस्या क्या है और इसका उपचार कैसे किया जाता है ?

    June 29, 2024 3321 Views

मोतियाबिंद एक तरह का आँखों से जुड़ी बीमारी होती है, जो आँखों के लेंस पर बनने वाला धुँधला क्षेत्र होता है | बढ़ती उम्र में मोतियाबिंद की समस्या होना सबसे आम प्रकार का माना जाता है | इसके लक्षणों में शामिल है धुँधली दृष्टि का दिखाई देना या फिर रौशनी के आसपास चमक दिखाई देना | मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान आपके इस धुँधले लेंस को हटा दिया जाता है और इसे आइओएल नामक स्पष्ट कृत्रिम लेंस से बदल दिया जाता है | जब मोतियाबिंद के लक्षण आपके रोज़मर्रा जीवन पर काफी बाधा डालने लग जाता है तो इससे स्थिति में स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा सर्जरी करवाने की सलाह दी जाती है | 

 

मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर के सीनियर कंस्टलटेंट डॉक्टर हरिंदर मित्रा ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया की मोतियाबिंद एक किस्म का नेत्र से जुडी गंभीर बीमारी होती है, जो लेंस के आस-पास बनने वाला धुँधला क्षेत्र होता है | आँखों का लेंस स्पष्ट रूप से एक लचीला ढांचा होता है, जिसका ज्यादातर हिस्सा प्रोटीन से बना हुआ होता है | आँखों के लेंस में मौजूदा प्रोटीन टूटकर धुँधला पैच बन जाते है, जो आपकी दृष्टि को काफी प्रभावित कर देता है | इस समस्या की वजह से कभी-कभी आपको यह लगता है की जैसे आप दुनिया को किसी गन्दी खिड़की के ज़रिये देख रहे है | आइये जानते है  इस समस्या का इलाज कैसे किया जाता है | 

 

मोतियाबिंद समस्या का उपचार सर्जरी से किया जाता है जो की नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है | इस सर्जरी से मोतियाबिंद को हटा दिया जाता है, जो की आपके स्पष्ट दृष्टि को बहाल करने का एकमात्र तरीका है |  इस सर्जरी के दौरान नेत्र रोगी विशेषज्ञ आपकी आँखों से प्राकृतिक धुँधले को हटा देता है और उसके बदले इंट्राऑकुलर लेंस( आइओएल) को लगा दिया जाता है | 

 

आइओएल एक किस्म का कृत्रिम लेंस होता है जो आपकी आँखों में स्थाई रूप से रहता है | आइओएल के लिए विभिन्न प्रकार के विकल्प होते है, जिनके बारे आपको सिर्फ प्रदाता ही बता सकते है | आइओएल का मुख्य लाभ यह है कि यह स्पष्ट होता है बिल्कुल आपके प्राकृतिक लेंस की तरह | इसका दूसरा लाभ यह भी है कि ये अपवर्तक त्रिकूटियों को सही करता है, जिससे आप सर्जरी के बाद चश्मे और लेंस पर निर्भर कम रहते है |    

 

इससे जुड़ी और जानकारी के लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर कर सकते है यहाँ पर इस टॉपिक की जानकारी पर वीडियो बनाकर कर पोस्ट की हुई है | यदि आप इस मोतियाबिंद समस्या से जूझ रहे है और इसका इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए भी आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर का चयन कर सकते है यहाँ के डॉक्टर हरिंदर मित्रा ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या को कम करने के साथ-साथ छुटकारा दिलाने में भी आपकी सहायता कर सकते है |      


Medicine, Hospital, Medical Clinic, Ophtalmologist, Exam
Categories
Hindi Keratoconus

केराटोकोनस क्या है और इसके मुख्य लक्षण कौन-से है?

    June 24, 2024 2850 Views

अगर आपके कॉर्निया के आकार में काफी परिवर्तन आ गया है, जो अब गुम्बद के बजाय शंकु की तरह दिखाई दे रहा है तो इससे आपके दृष्टि की नज़र कम होने की संभावना कम हो सकती है | इस समस्या के उपचार में चश्मे या कांटेक्ट से लेकर कॉर्निया ट्रांसप्लांट तक शामिल होते है | कई मामलों में  केराटोकोनस जैसी समस्या होने के कारण निश्चित नहीं होते | आइये जानते है  केराटोकोनस समस्या के बारे में :- 

मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर के सीनियर डॉक्टर हरिंदर मित्रा ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो द्वारा यह बताया की केराटोकोनस एक ऐसा आई डिसऑर्डर होता है जिसमे आंखों के सामान्य गोल कॉर्निया बाहर की तरफ उभकर शंकु के आकर में नज़र आने लगता है | कॉर्निया आंखों के सामने वाली सतह का स्पष्ट और मध्य भाग होता है, जो आंखों की सुरक्षा करने में और स्पष्ट दृष्टि के लिए ध्यान केंद्रित करने में सहायक होता है | 

यह समस्या आमतौर पर नेत्र देखभाल प्रदाता द्वारा आपके किशोरावस्था या फिर 20 से 30 की उम्र के दौरान पता लगता है, हालंकि केराटोकोनस बचपन में भी शुरू हो सकता है | कॉर्निया के आकार में बदलाव कई वर्षो में होता है, लेकिन आजकल  युवा लोगों में यह समस्या बहुत तेजी से बढ़ता  है |  

 

केराटोकोनस मुख्य लक्षण और कारण क्या है?

 इसके मुख्य लक्षण है:- 

  • दोनों आँखों में दृष्टि का ख़राब होना | 
  • आंख में दोहरी दृष्टि का दिखाई देना | 
  • चमकदार रोशनी के चारों ओर  प्रभामंडल का दिखाई देना | 
  • प्रकाश के प्रति फोटोफोबिआ होना आदि | 

 

इसके मुख्य कारण क्या है :- 

केराटोकोनस के काफी हद तक कारण अज्ञात ही होते है | एक शोध से यह पता चला है की केराटोकोनस की समस्या परिवार से ही चला आता है और साथ ही यह समस्या उन लोगों में अधिक होती है, जो कुछ खास चिकित्सा स्थितियों से पीड़ित होती है | यह जरुरी नहीं होता की आंख लगी को चोट या फिर कोई बीमारी से ही केराटोकोनस की समस्या हो, क्योंकि ज़्यादातर मामले में केराटोकोनस समस्या होने के कुछ खास वजह नहीं होते | 

 

केराटोकोनस समस्या का उपचार कैसे करें ? 

यदि आपको यह लगता है की आप भी इस समस्या से जूझ रहे है तो बेहतर है कि समय रहते आप किसी अच्छे नेत्र चिकित्सक के पास जाकर इस समस्या का उपचार कराएं, अगर देरी हुई तो यह समस्या आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकता है | इसके लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर से परामर्श भी कर सकते है, इस संस्था के डॉक्टर हरिंदर मित्रा ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है, जो आपको इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है |  


Posts pagination

← Newer Posts1 2 … 4 Older Posts →
telephone-1
telephone-1
Footer Logo
  • Phone: 01824-356072 , TPA: 01824-357551
  • Reception: 98888-18840 , Appointment: 95011-16997
  • mitraeyehospital@gmail.com
  • Patel Nagar, Hargobind Nagar, Phagwara, Punjab 144401
  • Total Site Visits: 160206

Our Services

  • Contoura Vision
  • Blade Free Cataract Surgery (मोतियाबिंद का इलाज)
  • Lasik Surgery
  • Vitreoretinal Surgery
  • Glaucoma Management
  • Oculoplastic Surgery
  • Squint Management

Quick Link

  • About Us
  • Blog
  • Videos
  • FAQ’s
  • Gallery
  • Medical Tourism
  • Contact Us
  • Book An Appointment
Locations
  • Best Eye Hospital in Jalandhar
  • Best Eye Hospital in Srinagar
  • Best Eye Hospital in Ludhiana
  • Best Eye Hospital Near Shankot
  • Best Eye Hospital Near Malsian
  • Best Eye Hospital Near Nawanshahr
  • Best Eye Hospital Near Noormehal
  • Best Eye Hospital Near Nakodar

Opening Hours

  • Monday: 10am to 6pm
  • Tuesday: 10am to 6pm
  • Wednesday: 10am to 6pm
  • Thursday: 10am to 6pm
  • Friday: 10am to 6pm
  • Saturday: 10am to 6pm
  • Sunday:Closed

Subscribe Our Newsletters & Stay Update

Check your inbox or spam folder to confirm your subscription.

©2021 All rights reserved by Mitra Eye Hospital Designed & Developed By Flymedia Technology
Cashless Treatment