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आँखों में मोतियाबिंद रोग समस्या क्या है और इसका उपचार कैसे किया जाता है ?

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Category: Hindi

Close-up of a female doctor performing an eye examination on an elderly male patient, emphasizing healthcare and eye care services.
Experienced doctor conducting eye exam for senior patient at Mitraeye Hospital, specializing in ophthalmology and senior healthcare.
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Cataract Surgery Hindi

आँखों में मोतियाबिंद रोग समस्या क्या है और इसका उपचार कैसे किया जाता है ?

    June 29, 2024 3571 Views

मोतियाबिंद एक तरह का आँखों से जुड़ी बीमारी होती है, जो आँखों के लेंस पर बनने वाला धुँधला क्षेत्र होता है | बढ़ती उम्र में मोतियाबिंद की समस्या होना सबसे आम प्रकार का माना जाता है | इसके लक्षणों में शामिल है धुँधली दृष्टि का दिखाई देना या फिर रौशनी के आसपास चमक दिखाई देना | मोतियाबिंद की सर्जरी के दौरान आपके इस धुँधले लेंस को हटा दिया जाता है और इसे आइओएल नामक स्पष्ट कृत्रिम लेंस से बदल दिया जाता है | जब मोतियाबिंद के लक्षण आपके रोज़मर्रा जीवन पर काफी बाधा डालने लग जाता है तो इससे स्थिति में स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा सर्जरी करवाने की सलाह दी जाती है | 

 

मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर के सीनियर कंस्टलटेंट डॉक्टर हरिंदर मित्रा ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया की मोतियाबिंद एक किस्म का नेत्र से जुडी गंभीर बीमारी होती है, जो लेंस के आस-पास बनने वाला धुँधला क्षेत्र होता है | आँखों का लेंस स्पष्ट रूप से एक लचीला ढांचा होता है, जिसका ज्यादातर हिस्सा प्रोटीन से बना हुआ होता है | आँखों के लेंस में मौजूदा प्रोटीन टूटकर धुँधला पैच बन जाते है, जो आपकी दृष्टि को काफी प्रभावित कर देता है | इस समस्या की वजह से कभी-कभी आपको यह लगता है की जैसे आप दुनिया को किसी गन्दी खिड़की के ज़रिये देख रहे है | आइये जानते है  इस समस्या का इलाज कैसे किया जाता है | 

 

मोतियाबिंद समस्या का उपचार सर्जरी से किया जाता है जो की नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है | इस सर्जरी से मोतियाबिंद को हटा दिया जाता है, जो की आपके स्पष्ट दृष्टि को बहाल करने का एकमात्र तरीका है |  इस सर्जरी के दौरान नेत्र रोगी विशेषज्ञ आपकी आँखों से प्राकृतिक धुँधले को हटा देता है और उसके बदले इंट्राऑकुलर लेंस( आइओएल) को लगा दिया जाता है | 

 

आइओएल एक किस्म का कृत्रिम लेंस होता है जो आपकी आँखों में स्थाई रूप से रहता है | आइओएल के लिए विभिन्न प्रकार के विकल्प होते है, जिनके बारे आपको सिर्फ प्रदाता ही बता सकते है | आइओएल का मुख्य लाभ यह है कि यह स्पष्ट होता है बिल्कुल आपके प्राकृतिक लेंस की तरह | इसका दूसरा लाभ यह भी है कि ये अपवर्तक त्रिकूटियों को सही करता है, जिससे आप सर्जरी के बाद चश्मे और लेंस पर निर्भर कम रहते है |    

 

इससे जुड़ी और जानकारी के लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर नामक यूट्यूब चैनल पर विजिट कर कर सकते है यहाँ पर इस टॉपिक की जानकारी पर वीडियो बनाकर कर पोस्ट की हुई है | यदि आप इस मोतियाबिंद समस्या से जूझ रहे है और इसका इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए भी आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर का चयन कर सकते है यहाँ के डॉक्टर हरिंदर मित्रा ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या को कम करने के साथ-साथ छुटकारा दिलाने में भी आपकी सहायता कर सकते है |      


Clear eye examination being performed at Mitraeye Hospital with advanced diagnostic equipment.
Medicine, Hospital, Medical Clinic, Ophtalmologist, Exam
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Hindi Keratoconus

केराटोकोनस क्या है और इसके मुख्य लक्षण कौन-से है?

    June 24, 2024 3087 Views

अगर आपके कॉर्निया के आकार में काफी परिवर्तन आ गया है, जो अब गुम्बद के बजाय शंकु की तरह दिखाई दे रहा है तो इससे आपके दृष्टि की नज़र कम होने की संभावना कम हो सकती है | इस समस्या के उपचार में चश्मे या कांटेक्ट से लेकर कॉर्निया ट्रांसप्लांट तक शामिल होते है | कई मामलों में  केराटोकोनस जैसी समस्या होने के कारण निश्चित नहीं होते | आइये जानते है  केराटोकोनस समस्या के बारे में :- 

मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर के सीनियर डॉक्टर हरिंदर मित्रा ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो द्वारा यह बताया की केराटोकोनस एक ऐसा आई डिसऑर्डर होता है जिसमे आंखों के सामान्य गोल कॉर्निया बाहर की तरफ उभकर शंकु के आकर में नज़र आने लगता है | कॉर्निया आंखों के सामने वाली सतह का स्पष्ट और मध्य भाग होता है, जो आंखों की सुरक्षा करने में और स्पष्ट दृष्टि के लिए ध्यान केंद्रित करने में सहायक होता है | 

यह समस्या आमतौर पर नेत्र देखभाल प्रदाता द्वारा आपके किशोरावस्था या फिर 20 से 30 की उम्र के दौरान पता लगता है, हालंकि केराटोकोनस बचपन में भी शुरू हो सकता है | कॉर्निया के आकार में बदलाव कई वर्षो में होता है, लेकिन आजकल  युवा लोगों में यह समस्या बहुत तेजी से बढ़ता  है |  

 

केराटोकोनस मुख्य लक्षण और कारण क्या है?

 इसके मुख्य लक्षण है:- 

  • दोनों आँखों में दृष्टि का ख़राब होना | 
  • आंख में दोहरी दृष्टि का दिखाई देना | 
  • चमकदार रोशनी के चारों ओर  प्रभामंडल का दिखाई देना | 
  • प्रकाश के प्रति फोटोफोबिआ होना आदि | 

 

इसके मुख्य कारण क्या है :- 

केराटोकोनस के काफी हद तक कारण अज्ञात ही होते है | एक शोध से यह पता चला है की केराटोकोनस की समस्या परिवार से ही चला आता है और साथ ही यह समस्या उन लोगों में अधिक होती है, जो कुछ खास चिकित्सा स्थितियों से पीड़ित होती है | यह जरुरी नहीं होता की आंख लगी को चोट या फिर कोई बीमारी से ही केराटोकोनस की समस्या हो, क्योंकि ज़्यादातर मामले में केराटोकोनस समस्या होने के कुछ खास वजह नहीं होते | 

 

केराटोकोनस समस्या का उपचार कैसे करें ? 

यदि आपको यह लगता है की आप भी इस समस्या से जूझ रहे है तो बेहतर है कि समय रहते आप किसी अच्छे नेत्र चिकित्सक के पास जाकर इस समस्या का उपचार कराएं, अगर देरी हुई तो यह समस्या आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकता है | इसके लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर से परामर्श भी कर सकते है, इस संस्था के डॉक्टर हरिंदर मित्रा ऑप्थल्मोलॉजिस्ट में एक्सपर्ट है, जो आपको इस समस्या से छुटकारा दिलाने में आपकी मदद कर सकते है |  


Causes and symptoms of dry eyes
Causes and symptoms of dry eyes at Mitraeye Hospital, a NABH accredited eye and LASIK laser center.
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eye care Hindi

अब आपकी आंखों का रंग भी बता सकती है आपके सेहत का क्या है राज़

    June 7, 2024 3381 Views

यूवल मेलानोमा एक तरह का कैंसर है जो भूरे रंग की आंखों वाले लोगों की तुलना में उन लोगो को ज्यादा प्रभावित करता है, जिनके आंखों का रंग हरा, ग्रे और नीला है | लेकिन ऐसे कैंसर होने का अवसर बहुत कम होते है | आज के दौर में हर व्यक्ति में अलग प्रकार के आंखों के रंग होते है | आइए जानते है आपकी आंखों का रंग क्या कहती है आप की सेहत के बारे में:- 

  1. 2011 में हुई स्टडी के अनुसार यह बात पता चली है की जिनके आंखों का रंग नीली होती है, उन्हें टाइप 1  डाइबिटीज़ होने का खतरा होता है | 
  2. शोर भरे वातावरण में भूरी आंख वालों लोगो की तुलना में हरे और नीली आंख वाले व्यक्ति ज्यादा सफर करते है और उन्हें सुनने की क्षमता खोने का डर भी रहता है | 
  3. नीली आंख वाले व्यक्ति को शराब पीने की लत बहुत जल्दी लग जाती है और बाकियों के मुकाबले वह लोग शराब का अधिक सेवन करते है | 
  4. एक अध्ययन से पता चला है कि हल्के रंग आंख वाली महिला पर दर्द सहने की क्षमता बहुत कम होती है और वह दर्द को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती है | 
  5. एक स्टडी से पता चला है की जिनके आंखों का रंग भूरे या गहरा होता है उनके आंखों में मोतियाबिंद होने की सम्भावना होती है और आंखों का यह शेड इस को समस्या की स्थिति को बढ़ावा देता है |  

अगर इस समस्या संबंधित कोई भी जानकारी लेना चाहते हो तो आप मित्र आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर का चयन कर सकते है | इस संस्था के पास ऑप्थमलोगिस्ट एक्सपर्ट डॉक्टर्स की बेहतरीन टीम है | 


कम उम्र में भी दिखने लगा है धुंधला? जानिए आंखों के रौशनी को बढ़ाने के लिए घरेलू नुस्खे
Blurred image of young woman experiencing eye discomfort at her workspace, seeking eye care treatment.
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कम उम्र में भी दिखने लगा है धुंधला? जानिए आंखों के रौशनी को बढ़ाने के लिए घरेलू नुस्खे

    June 1, 2024 2333 Views

आजकल के दौर में बढ़ते उम्र के साथ-साथ कम उम्र के बच्चों को भी आंखों में धुंधलापन जैसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है | इस समस्या के मुख्य लक्षणा है ज्यादार देर तक मोबाइल देखना,अधिक समय तक लैपटॉप या कंप्यूटर में काम करना, नींद पूरी न होना, और कई ऐसे शारीरिक समस्यों के कारण  भी आंखों में धुंधलापन जैसी समस्या हो सकती  है | इस समस्या को कम करने के आप घरेलु नुस्खों का इस्तेमाल कर सकते है | आइये जानते है ऐसे ही 5 घरेलु उपचार जो आंखों की रौशनी को बढ़ाये :- 

  1. आंखों को आराम दे :- काफी समय तक मोबाइल चलाने या फिर लैपटॉप और कंप्यूटर में काम करने से आंखों में थकान आ जाती है, जिससे आंखों में धुंधलापन जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है | शरीर की तरह आंखों को भी आराम देना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि आंखे ज़्यादा सेंसटिव होती है इसलिए नींद पूरी ले | 
  1. ओमेगा 3 फैटी एसिड का सेवन करें :- ओमेगा 3 फैटी एसिड में काफी पोषक तत्व पाए जाते है जिसके सेवन से आंखों में आये ड्राईनेस जैसे समस्या को कम  किया जा सकता है |
  1. विटामिन-ए का सेवन करें :- यदि आप अपने डेली आहार में विटामिन-ए जैसे तत्वों को शामिल कर ले तो उसकी मदद से भी आंखों में धुंधलापन  कम किया जा सकता है | 
  2. धुप में निकलने से पहले आंखों को कवर कर ले, क्योंकि धूप के किरणे आंखों में पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है | जिससे आंखों में धुंधलापन जैसी  समस्या उत्पन्न हो जाती है | 
  1. धूम्रपान और नशीली पदार्थों से दूर रहना चाहिए | 

अगर आप भी ऐसी समस्या से गुजर रहे है तो बेहतर है की आप डॉक्टर के पास जाकर अच्छे से इलाज करवाएं, इसके लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल और लासिक लेज़र सेंटर का चयन कर सकते है |


घरेलू उत्पादों से तैयार करे चमत्कारी पट्टी,जो आँखों की जलन और चुभन को करे कम
घरेलू उत्पादों से तैयार करे चमत्कारी पट्टी,जो आँखों की जलन और चुभन को करे कम
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घरेलू उत्पादों से तैयार करे चमत्कारी पट्टी,जो आँखों की जलन और चुभन को करे कम

    May 29, 2024 2564 Views

आँखों में जलन और चुंबन की मुख्य वजह है प्रदूषण और हवा में मिलने वाले कण जो इस समस्या को बढ़ावा देती है | हलाकि कुछ अन्य स्थितियां जैसे की आँखों में किसी तरह की बीमारी, लम्बे समय तक मोबाइल या सिस्टम पर काम करने, ख़राब खानपान या फिर खानपान में पौष्टिक तत्व का मौजूद ना होना इत्यादि कारणों से भी हो सकते है | आँखों में जलन से रोज़ाना कामकाज में भी बहुत बुरा असर पड़ता है | इसलिए इस समस्या को कम करना बहुत ही आवश्यक है | अगर इस समस्या को सही समय पर कम ना किया जाये तो यह आगे जाकर बहुत बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकती है | अगर आप चाहे तो इस समस्या को तुरंत कम करने के लिए घर में बने चमत्कारी पट्टी का उपयोग कर सकती है | इस पट्टी को ज़्यादा कुछ नहीं घर में मौजूद सामग्री की ही ज़रूरत होती है | आइये जानते है इस चमत्कारी पट्टी को बनाने की विधि :-

आँखों में जलन और चुभन को कम करने के लिए घरेलू उत्पादों से तैयार की गयी पट्टी

एलोवेरा से बनी पट्टी

आवश्यकता सामग्री :-

  • फ्रेश एलोवेरा जेल :- 1 बड़ा चम्मच
  • गुलाब जल :- 2 चम्मच
  • कॉटन पैड :- 2 (आप चाहे तो रुई का भी इस्तेमाल कर सकते है )

पट्टी बनाने की विधि :- एक कटोरे में फ्रेश एलोवेरा जेल और गुलाब जल को डाल एक चम्मच के सहायता से अच्छी तरह से मिला ले, फिर कॉटन पैड या रुई को गोलाकार में काट कर इस मिश्रण में भिगो दे | इस कॉटन पैड अपनी दोनों आँखों के आस पास लगा कर 20-30 मिनट के लिए छोड़ दे , फिर अपनी आँखों को नार्मल पानी से धो कर मोइस्टीरिज़ क्रीम से मालिश कर ले | 10 मिनट बाद ही आपकी आँखों में जलन और चुंबन की समस्या कम हो जाएगी |

कैस्टर ऑयल से बनी पट्टी

आवश्यकता सामग्री :-

  • कैस्टर ऑयल :- 2 बड़े चम्मच
  • कॉटन पैड :- 2 (आप चाहे तो रुई का भी इस्तेमाल क्र सकते है )

पट्टी बनाने की विधि :- एक कटोरे में कैस्टर ऑयल में कॉटन पैड या रुई को गोलाकार में काट कर 10 मिनट के लिए छोड़ दे, फिर इस कॉटन पैड को हलके हाथों से निचोड़ कर अपनी दोनों आँखों के आस पास लगा कर तब के लिए छोड़ दे जब तक यह पट्टी सुख न जाये , फिर इसके बाद अपनी आँखों को नार्मल पानी से धो कर कोई भी रोज़ाना इस्तेमाल करने वाली मोइस्यूरीज से मालिश कर ले | कुछ देर बाद ही आपकी आँखों में जलन और चुंबन की समस्या कम हो जाएगी |अगर आपके पास कॉटन पट्टी मौजूद नहीं है तो आप कैस्टर ऑयल को अपने हाथ में लेकर हलके हाथों से मालिश भी कर सकते है |

 खीरे के रस से बानी पट्टी

आवश्यकता सामग्री :-

  • खीरा का रस  :- 2 बड़े चम्मच
  • शहद :- 1 चम्मच
  • कॉटन पैड :- 2 (आप चाहे तो रुई का भी इस्तेमाल क्र सकते है )

पट्टी बनाने की विधि :- सबसे पहले खीरे को कदूकस करके, उसमें से रस को निकाल कर एक कटोरे में अलग कर ले, फिर बताई गयी मात्रा अनुसार खीरे के रस और शहद को एक कटोरे डाल कर में अच्छी तरह से मिला ले | इस मिश्रण में कॉटन पैड या रुई को गोलाकार में काट कर भीगने के छोड़ दे |फिर पट्टी को अपनी दोनों आँखों के आस पास लगा कर 10-20 तक के लिए छोड़ दे | फिर अपनी आँखों को नार्मल पानी से धो कर मोइस्यूरीज क्रीम से मालिश कर ले | 10 मिनट बाद ही आपकी आँखों में जलन और चुंबन होना कम हो जायेगा |

अगर इस पट्टी के इस्तेमाल से भी आपकी आँखों में जलन और चुभन जैसे समस्या कम नहीं हो रही है तो डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाना ही उचित रहेगा | इससे समस्या से जुड़ी कोई भी सलाह आप मित्रा आई हॉस्पिटल एंड लासिक लेज़र सेंटर से ले सकती है | यह टॉप हॉस्पिटल में से एक है और इनके सभी डॉक्टर ऑप्थैमोलॉजिस्ट एक्सपर्ट है |


आँखों-में-दर्द-की-समस्या-से-कैसे-करें-खुद-का-बचाव
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eye care Hindi

आँखों में दर्द के क्या है लक्षण, कारण, इलाज और घरेलु उपाय ?

    April 30, 2024 28742 Views

आँखों में दर्द का होना काफी समस्या बनी हुई है लोगों के लिए वही इसके दर्द से हम कैसे खुद का बचाव कर सकते है और आँखों में दर्द के क्या है कारण, लक्षण व घरेलु बचाव के तरीके। तो आप भी अगर आँखों में दर्द या जलन जैसी समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए लेख के साथ अंत तक बने रहें ;

आँखों में दर्द के कारण क्या है ?

  • कॉर्नियल विकार, हमारी आँख के सबसे संवेदनशील हिस्सों में से एक है। कॉर्निया गंदगी, कीटाणुओं या किसी अन्य हानिकारक कणों को बाहर रखने में बाधा के रूप में कार्य करता है जो आँखों को नुकसान पहुंचा सकते है। कॉर्नियल डिसऑर्डर से पीड़ित लोग लोग दर्द, आँखों से पानी आना या दृष्टि में कमी का अनुभव कर सकते है।
  • कॉर्नियल घर्षण, यह तब होता है जब कोई बाहरी वस्तु आपकी आँखों पर खरोंच छोड़ देती। 
  • संक्रमण भी गंभीर घर्षण या लेंस के अनुचित उपयोग के कारण होता है। 
  • सूखी आँख, यह आमतौर पर आँखों में खिंचाव या शुष्क हवा के मौसम के कारण होने वाली एक अल्पकालिक समस्या है।
  • ग्लूकोमा, उम्र से संबंधित आँखों की समस्या है जो ऑप्टिक नसों को प्रभावित करती है। 
  • स्टाइस, एक मवाद से भरी हुई गांठें होती है, जो पलकों के पास बनती है। यह बेहद दर्दनाक होती है।
  • ब्लेफेराइटिस, कोई गंभीर समस्या नहीं है और इसके लिए डॉक्टर से तुरंत परामर्श लेने की भी आवश्यकता नहीं होती है। 

हद से ज्यादा कॉन्टैक्ट लेंस इस्तेमाल करने के कारण आपके आँखों में धुंधलापन या दर्द की समस्या उत्पन्न हो गई है तो इससे बचाव के लिए आपको पंजाब में लेसिक सर्जरी का चयन करना चाहिए।

आँखों का दर्द क्या है ?

  • आँखों के दर्द में आप आँखों से जुडी हुई तरह-तरह की परेशानियों को झेलते है। 
  • आँखों से जुडी परेशानी, तेज दर्द और चुभने वाला या सुस्त और छुरा घोंपने वाला हो सकता है। आपकी आंखें चिढ़ या किरकिरा महसूस कर सकती है। साथ में आंखों का दर्द हो सकता है धुंधली दृष्टि, खुजली, लाली, सूखी आंखें, या पानी वाली आंखें। 

आँखों में दर्द की समस्या क्या है इसके बारे में जानने के लिए आप पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन भी कर सकते है।

आँखों में दर्द से बचाव के लिए घरेलु उपचार क्या है ?

  • चश्में को लगाए ताकि कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से बच सकें। 
  • आँखों में दर्द होने पर गर्म सेक से आँखों को सेके। 
  • आँखों में अगर कुछ बाहरी कण चला गया हो तो साफ पानी से आँखों को धोए। 
  • आँखों में दर्द होने पर आप एंटीबायोटिक्स ले सकते है। 
  • आँखों में परेशानी होने पर आँख की दवा का प्रयोग करें
  • आँखों में दर्द अधिक होने पर दर्द की दवा जरूर लें।
  • अधिक गंभीर संक्रमण में आपका डॉक्टर आपको कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स लिख सकता है।

आँखों में दर्द के लक्षण क्या है ?

  • आंखों में जलन की समस्या। 
  • तेज छुरा घोंपने की अनुभूति। 
  • लालपन की समस्या। 
  • प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता। 
  • जब आप अपनी आँखें घुमाते हैं तो दर्द होता है। 
  • आँख से स्राव। 
  • आँख का फड़कना। 
  • नम आँखें। 
  • खुजली की समस्या।

आँखों में दर्द का इलाज और हॉस्पिटल ! 

  • आँखों में दर्द की समस्या से निजात दिलवाने के लिए कई डॉक्टर दवाइयों की मदद से इसको ठीक करते है और समस्या गंभीर होने पर सर्जरी भी की जा सकती है। 
  • आँखों में इलाज के लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल का चयन कर सकते है, वहीं इस हॉस्पिटल में डॉक्टर पहले मरीज़ की जाँच अच्छे से करते है उसके बाद ही इलाज की प्रक्रिया को आधुनिक उपकरणों की मदद से शुरू किया जाता है।

निष्कर्ष :

आँखों से जुडी किसी भी तरह की समस्या से निजात पाने के लिए डॉक्टर के कहेनुसार ही उपचार का चयन करें।


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जानिए 40 की उम्र के बाद लेसिक सर्जरी को करवाना कितना है सुरक्षित !

    April 25, 2024 9087 Views

लेसिक सर्जरी जोकि हर उम्र के लोगों के लिए तक़रीबन फायदेमंद मानी जाती है, तो वहीं इस सर्जरी को लेकर कुछ लोगों का ये सवाल भी सामने आया है की क्या 40 के बाद भी इस सर्जरी को करवाना फायदेमंद हो सकता है, साथ ही 40 के बाद करवाई गई इस सर्जरी के क्या फायदे हो सकते है, इसके बारे में भी आज के लेख में चर्चा करेंगे  

क्या है लेसिक सर्जरी ?

  • लेजर असिस्टेड इन-सीटू केराटोमिलेसिस (LASIK) सर्जरी चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से मुक्ति पाने का सबसे बेहतरीन जरिया है। 
  • वहीं यह दुनिया भर में की जाने वाली सबसे लोकप्रिय दृष्टि सुधार प्रक्रिया है। जिन लोगों को पहले से कोई आंख की समस्या नहीं है, नियंत्रित रक्त ग्लूकोज स्तर, आंखों की शक्ति में स्थिरता और सामान्य पूर्व-लेसिक परीक्षण लेसिक के लिए उपयुक्त माने जाते है।
  • लेसिक सर्जरी की बात करें तो ये आमतौर पर अलग-अलग प्रकार की दृष्टि समस्याओं के इलाज में काम आते है। इनमें निकट दृष्टिदोष (मायोपिया), दूरदर्शिता (हाइपरोपिया) और दृष्टिवैषम्य (एस्टिग्मैटिज्म) भी शामिल है। 
  • यह सर्जरी एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे लोग अपनी दृष्टि में सुधार कर सकते है। 
  • हालांकि, ज्यादातर 40 से ज्यादा उम्र वाले लोगों को यह जानना चाहिए कि लेसिक उनके लिए सुरक्षित है या नहीं।

अगर आप भी चश्में की समस्या से निजात पाना चाहते है, तो इसके लिए आप पंजाब में लेसिक सर्जरी का चयन करें।

क्या 40 के बाद लेसिक सर्जरी को करवाना फायदेमंद है या नहीं ?

  • यदि आप लेसिक सर्जरी को 18 वर्ष से अधिक आयु के बाद करवाते हो तो आमतौर पर आपके लिए कोई भी चिंता का विषय नहीं है, लेकिन कभी-कभी, 40 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग चिंता करते है कि क्या लेसिक सर्जरी उनके लिए सही विकल्प है या नहीं।
  • तो आपको बता दे की जैसे-जैसे हम बड़े होते है, हमारी त्वचा और मांसपेशियों के अलावा हमारी आँखों में भी उम्र बढ़ने के लक्षण दिखाई देने लगते है। लेकिन इसके बाद भी 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए लेसिक सर्जरी बिलकुल सुरक्षित है। 
  • इस प्रक्रिया की सफलता दर बहुत ज्यादा है और इसे बहुत सुरक्षित माना जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि बढ़ती उम्र के साथ हमारी आंखों की रोशनी कम होने लगती है और हम प्रेसबायोपिया भी विकसित कर सकते है। यह तब होता है, जब आंख का लेंस पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है।

40 के बाद इस सर्जरी को करवाना सुरक्षित है या नहीं इसके बारे में जानने के लिए आप पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन जरूर से करें।

40 के बाद लेसिक सर्जरी के क्या है फायदे नज़र आते है ?

  • लेसिक के बाद आपको चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की जरूरत नहीं पड़ती।
  • सर्जरी से जीवन में बाद में मोतियाबिंद होने की संभावना भी कम हो सकती है।
  • यह आपकी दृष्टि में सुधार कर सकती है।
  • आंखों की लेसिक सर्जरी अपेक्षाकृत तेज और दर्द रहित है।
  • इसके नतीजे स्थायी है।
  • यह जटिलताओं की कम दर के साथ बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया के रूप में जाना जाता है।

जोखिम क्या नज़र आते है, लेसिक सर्जरी के?

  • इसके जोखिम में सबसे पहले व्यक्ति को सूखी आँखों की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा सूखी आंखें असुविधा और धुंधली दृष्टि का कारण भी बन सकती हैं।
  • इस सर्जरी को करवाने के बाद अगर आप अंधेरे कमरे से अचानक उजाले की तरफ आते है तो आपको चकाचौंध जैसा दिखाई दे सकता है। 
  • यदि 40 साल से ज्यादा उम्र के मरीज इस सर्जरी का चयन करते है तो उनकी दृष्टि में कम या ज्यादा सुधार के कारण उन्हे अन्य लेजर उपचार की जरूरत हो सकती है।

वापसी लेसिक सर्जरी के सबसे जटिल जोखिम कारकों में शामिल है, जिसमें मरीज की दृष्टि समय के साथ खराब होने लगती है। और साथ ही बुजुर्ग मरीजों में यह जटिलता ज्यादा होने की संभावना हो सकती है।

सुझाव :

अगर आप 40 की उम्र के बाद इस सर्जरी का चयन करने जा रहें है तो सबसे पहले इसका चयन करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह ले। उसके बाद आप इस सर्जरी को मित्रा आई हॉस्पिटल से भी करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

40 के बाद आप चाहे तो इस सर्जरी का चयन कर सकते है, और इस सर्जरी के ज्यादा जोखिम भी नहीं है, लेकिन ध्यान रहें इस सर्जरी को करवाने के लिए आप किसी बेहतरीन आँखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करें। इसके अलावा इससे संबंधित और जानकारी हासिल करने के लिए आप ‘मित्रा आई हॉस्पिटल’ से भी जानकारी हासिल कर सकते है।


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Eye Surgery Hindi

एस्टिग्मेटिज्म के क्या है – लक्षण, कारण, निदान और इलाज के तरीके ?

    April 12, 2024 8452 Views

आज के समय में जैसे-जैसे हमारे द्वारा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा और अपने काम को भी आसान बनाया जा रहा है, तो इसका सीधा असर हमारी आँखों पर पड़ता है क्युकि टेक्नोलॉजी से जुडी जितनी भी चीजे है उसको हमारे द्वारा मोबाइल फ़ोन या लैपटॉप पर किया जाता है, जिसकी लाइट का सीधा असर हमारी आँखों पर भी पड़ता है, और इसके कारण हमारी आँखों में एस्टिग्मेटिज्म या आँखों के पुतली के आकार में परिवर्तन आ जाता है, जिसका नुकसान धुंधली दृष्टि की समस्या को पैदा करता है। तो चलिए जानने की कोशिश करते है की आखिर क्या है एस्टिग्मेटिज्म की समस्या के लक्षण, कारण, इलाज व निदान की प्रक्रिया ;

एस्टिग्मेटिज्म क्या है ?

  • एस्टिग्मेटिज्म आंखों को प्रभावित करने वाली एक गंभीर बीमारी है। आंखों में मौजूद लेंस और कॉर्निया गोल होते है। लेकिन जब यह दोनों किसी कारण अपने रूप से कम या ज्यादा गोल हो जाते है तो आंखों में जाने वाली रोशनी रेटिना पर पूर्ण रूप से केंद्रित नहीं हो पाती है जिसके कारण मरीज को नज़दीक या दूर की चीजें धुंधली दिखाई पड़ती है। 
  • आमतौर पर एस्टिग्मेटिज्म की समस्या मायोपिया (दूर की चीजें धुंधली दिखाई देना) या हाइपरोपिया (पास की चीजें धुंधली दिखाई देना) के साथ होती है। दृष्टि से संबंधित इन तीनों बीमारियों को मेडिकल की भाषा में रिफ्रैक्टिव एरर के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञ का मानना है कि अधिकतर मामलों में एस्टिग्मेटिज्म बच्चों में पाया जाता है। हालांकि, यह वयस्कों में भी धीरे-धीरे विकास कर सकता है। 
  • आमतौर पर एस्टिग्मेटिज्म का इलाज करने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस के इस्तेमाल का सुझाव दे सकते है।

एस्टिग्मेटिज्म के प्रकार क्या है ?

  1. इसके दो प्रकार है पहला कॉर्नियल दृष्टिवैषम्य, और ये तब होता है जब आपका कॉर्निया खराब हो जाता है।
  2. और दूसरा है लेंटिकुलर एसिग्मैटिज्म, और ये समस्या तब होती है जब आपका लेंस खराब हो जाता है।

अगर आपके आँखों की कॉर्निया ख़राब हो गई है, तो इससे बचाव के लिए आपको पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

क्या कारण है एस्टिग्मेटिज्म के ?

एस्टिग्मेटिज्म के कारण बहुत है जिसके बारे में आपको जानना बहुत जरूरी है जिससे आप इस समस्या से खुद का बचाव आसानी से कर सकते है ; 

  • अनुवांशिक कारण। 
  • आंख की सर्जरी होने के कारण। 
  • आंख में चोट लगने के कारण। 
  • कम लाइट में पढ़ने के कारण। 
  • आंख से संबंधित कोई बीमारी से पीड़ित होने के कारण। 
  • कुछ मामलों में केरेटोकोनस नामक बीमारी भी इसका कारण बन सकती है।
  • लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन के सामने समय बिताना और आवश्यक दूरी का ध्यान ना देने के कारण आपको इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

एस्टिग्मेटिज्म के दौरान किस तरह के लक्षण नज़र आते है ?

  • चक्कर आना। 
  • सिर में दर्द का होना। 
  • दृष्टि का धुंधला होना। 
  • आंखों में दबाव का महसूस करना। 
  • किसी भी वस्तु को देखने में परेशानी का सामना करना। 
  • चीजों को देखने के लिए आंखो को सिकुड़ना। 
  • वस्तुओं के आकार को पहचानने में दिक्कत का सामना करना।

एस्टिग्मेटिज्म का निदान कैसे किया जा सकता है ?

आपका ऑप्टोमेट्रिस्ट या नेत्र रोग विशेषज्ञ कई प्रकार की आंखों की जांच करके एस्टिग्मेटिज्म का निदान करेंगे। ऑप्टोमेट्रिस्ट वह डॉक्टर होते है, जो आपकी आंखों की बीमारी या दृष्टि समस्याओं का निदान करते है। एक ऑप्थामोलोजिस्ट विज़न प्रॉब्लम्स या नेत्र रोग के लिए ट्रीटमेंट या सर्जिकल मेडिकल ट्रीटमेंट प्रोवाइड करते है। एस्टिग्मेटिज्म का निदान करने के लिए ऑप्टोमेट्रिस्ट या नेत्र रोग ऑप्थामोलोजिस्ट द्वारा कई टेस्ट किए जा सकते है, जैसे –

विजुअल एक्यूटी टेस्ट- (Visual Acuity Test)

इसमें डॉक्टर आपके सामने एक चार्ट रखेंगे। चार्ट में कई अक्षर होंगे, आपको इन अक्षरों को एक-एक करके पढ़ना होगा। जैसे-जैसे आप नीचे जाएंगे अक्षर का आकार धीरे-धीरे छोटा होता जाएगा। आपको एक आंख के सामने हाथ रखकर उन अक्षरों को पढ़ना है और इसी तरह दूसरी आंख से भी दोहराना है। यह निर्धारित करने के लिए है कि आप अक्षरों को एक निश्चित दूरी से कितनी अच्छी तरह देख सकते है।

अपवर्तन टेस्ट- (Refraction Test)

इस टेस्ट में “ऑप्टिकल रेफ्रेक्टर” नामक एक मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। मशीन में अलग-अलग पावर के कई करेक्टीव ग्लास लेंस होते है। आपका डॉक्टर आपकी आंखों के सामने एक लेंस लाएँगे और आपको चार्ट के अक्षरों को पढ़ने के लिए कहेंगे। वह तब तक लेंस बदलते रहेंगे जब तक आपको चार्ट में लिखें हुए सभी अक्षरों की क्लियर इमेज नहीं मिल जाती।

केराटोमेट्री- (Keratometry)

इस टेस्ट में आपके कॉर्निया की वक्रता को मापने के लिए एक डिवाइस इस्तेमाल किया जाता है, जिसे केराटोमीटर कहा जाता है। यह डॉक्टर को आपके कॉर्निया में किसी भी दिक्कत का पता लगाने में मदद करता है।

एस्टिग्मेटिज्म का इलाज कैसे किया जा सकता है ? 

  • आमतौर पर एस्टिग्मेटिज्म का इलाज करने के लिए नेत्र रोग विशेषज्ञ चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस के इस्तेमाल का सुझाव देते है। चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस से एस्टिग्मेटिज्म का इलाज किया जा सकता है, लेकिन इन्हे एस्टिग्मेटिज्म का बेस्ट इलाज नहीं माना जाता है। 
  • साथ ही, काफी लोगों को हमेशा चश्मा पहनना या कॉन्टेक्ट लेंस लगाना पसंद नहीं है। ऐसे में लेसिक सर्जरी एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आता है। लेसिक सर्जरी एक मॉडर्न और एडवांस सर्जिकल प्रक्रिया है जिससे दृष्टि से संबंधित बीमारियां जैसे कि मायोपिया (दूर की चीजें धुंधली दिखाई देना), हाइपरोपिया (पास की चीजें धुंधली दिखाई देना) और एस्टिग्मेटिज्म का बेस्ट इलाज किया जा सकता है।
  • एस्टिग्मेटिज्म की लेसिक सर्जरी को एक अनुभवी और कुशल नेत्र सर्जन की देखरेख में पूरा किया जाता है। इस सर्जरी को शुरू करने से पहले सर्जन मरीज की आंखों में एनेस्थेटिक ड्रॉप डालते है, जिससे सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द का खतरा खत्म हो जाता है। 
  • एनेस्थीसिया देने के बाद, सर्जन लेजर बीम की मदद से कॉर्निया को एक नया शेप दे देते है, जिसके बाद एस्टिग्मेटिज्म की समस्या खत्म हो जाती है। एस्टिग्मेटिज्म की लेसिक सर्जरी को पूरा होने में मात्र 30 मिनट का समय लगता है। इस सर्जरी के दौरान मरीज को कट या टांके नहीं आते है और ब्लीडिंग तथा दर्द का सामना भी नहीं करना पड़ता है।

अगर आप इस सर्जरी का चयन करना चाहते है तो इसके लिए आप मित्रा आई हॉस्पिटल का चयन कर सकते है।

निष्कर्ष :

एस्टिग्मेटिज्म तब होता है जब आपके कॉर्निया के आकार में कोई दिक्कत आ जाती है। या यह जन्म से हो सकता है या बाद के जीवन में उत्पन्न हो सकता है। एस्टिग्मेटिज्म का प्रमुख कारण अभी तक पहचाना नहीं गया है लेकिन कहा जाता है कि यह किसी आंख की चोट या पिछली आंख की सर्जरी के कारण हो सकता है।

एस्टिग्मेटिज्म की हल्की स्थिति के लिए किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन गंभीर कंडिशन्स का तुरंत इलाज किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें देरी करने से आंखों को बहुत अधिक जोखिम हो सकता है। और साथ ही इस तरह की समस्या में किसी भी तरह की आई ड्रॉप या दवाई का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श पर न लें।


Clear eye exam being performed at Mitraeye Hospital for accurate vision assessment.
Optometrist conducts a comprehensive eye check-up at Mitraeye Hospital for optimal eye health.
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मोतियाबिंद के 7 लक्षणों को जानकर जानिए इनसे बचाव के तरीके ?

    April 6, 2024 9144 Views

मोतियाबिंद एक आम आंख की स्थिति है जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। वहीं मोतियाबिंद की समस्या तब होती है, जब आंख का लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे विभिन्न दृष्टि समस्याएं पैदा होती है। इस ब्लॉग में हम मोतियाबिंद के सात लक्षणों पर चर्चा करेंगे और उनसे बचाव के उपाय भी तलाशेंगे ;

मोतियाबिंद के लक्षण –

धुंधली नज़र :

मोतियाबिंद के सबसे आम लक्षणों में से एक है धुंधली दृष्टि। आप देख सकते है कि आपकी दृष्टि धुंधली या धुंधली हो गई है, जिससे स्पष्ट रूप से देखना मुश्किल हो गया है। किताब पढ़ने से लेकर कार चलाने तक, यह आपके दैनिक जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

मोतियाबिंद के कारण होने वाली धुंधली दृष्टि को रोकने के लिए, अपनी आँखों को हानिकारक यूवी किरणों से बचाना आवश्यक है। बाहर जाते समय हमेशा यूवी सुरक्षा वाले धूप का चश्मा पहनें।

लुप्त होते रंग :

मोतियाबिंद के कारण रंग फीके या कम चमकीले दिखाई दे सकते है। आप देख सकते है कि वस्तुएं अपनी सामान्य रंग तीव्रता खो देती है। यह लक्षण विभिन्न रंगों के बीच अंतर करना चुनौतीपूर्ण बना सकता है।

रंग को फीका पड़ने से बचाने के लिए, एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर स्वस्थ आहार बनाए रखें, क्योंकि वे मोतियाबिंद के विकास के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते है। फल और सब्जियाँ जैसे खाद्य पदार्थ उत्कृष्ट विकल्प है।

प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता :

मोतियाबिंद आपकी आँखों को प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है। तेज धूप या कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में आने पर आपको असुविधा या चकाचौंध का अनुभव हो सकता है।

प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता को रोकने के लिए, ध्रुवीकृत लेंस वाले धूप का चश्मा पहनें, जो चमक को कम कर सकता है और बाहरी गतिविधियों को अधिक आरामदायक बना सकता है।

आंखों को चोट से बचाएं :

मोतियाबिंद होने पर जितना हो सकें आपको अपनी आंखों को चोट लगने से बचाना चाहिए।

रात्रि दृष्टि में कठिनाई :

मोतियाबिंद कम रोशनी की स्थिति, जैसे रात में, स्पष्ट रूप से देखने की आपकी क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। आपको रात में गाड़ी चलाने या कम रोशनी वाली जगहों पर नेविगेट करने में कठिनाई हो सकती है।

रात्रि दृष्टि समस्याओं को रोकने के लिए, नियमित रूप से आंखों की जांच कराना महत्वपूर्ण है। मोतियाबिंद का शीघ्र पता लगाने से समय पर उपचार और आपकी रात्रि दृष्टि के बेहतर संरक्षण की अनुमति मिलती है।

दोहरी दृष्टि :

मोतियाबिंद से दोहरी दृष्टि हो सकती है, जहां आपको एक ही वस्तु की दो छवियां दिखाई देती है। यह लक्षण भटकाव पैदा करने वाला हो सकता है और पढ़ने या टीवी देखने जैसे कार्यों को कठिन बना सकता है।

दोहरी दृष्टि को रोकने के लिए, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार सहित स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें। ये आदतें समग्र नेत्र स्वास्थ्य में योगदान कर सकती है।  

नुस्खे में बार-बार बदलाव :

यदि आप पाते है कि आपके चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का नुस्खा बार-बार बदलता है, तो यह मोतियाबिंद का संकेत हो सकता है। लेंस का धुंधलापन आपकी दृष्टि में उतार-चढ़ाव पैदा कर सकता है। और इस उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए आपको मोतियाबिंद का इलाज करवा लेना चाहिए।

नुस्खे में बार-बार बदलाव को रोकने के लिए, आवश्यक है की आप सुरक्षात्मक चश्में को पहने और अपनी आंखों को चोट से बचाएं, खासकर उन गतिविधियों के दौरान जो आपकी आंखों को खतरे में डाल सकती है।

मोतियाबिंद से बचाव –

मोतियाबिंद उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का एक स्वाभाविक हिस्सा है, और इसमें ऐसे कई कदम है जो आप अपने जोखिम को कम करने और उनके विकास को धीमा करने के लिए उठा सकते है, जैसे ;

एक संतुलित आहार खाएं :

अपने दैनिक भोजन में विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियाँ शामिल करें। ये खाद्य पदार्थ एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते है, जो आपकी आंखों को मोतियाबिंद से बचाने में मदद कर सकते है।

धूप के चश्मे पहने :

यूवी सुरक्षा वाले धूप का चश्मा पहनकर अपनी आंखों को हानिकारक यूवी किरणों से बचाएं। यह सरल कदम मोतियाबिंद और अन्य नेत्र स्थितियों को रोकने में काफी मदद कर सकता है।

धूम्रपान से बचें :

धूम्रपान मोतियाबिंद के लिए एक ज्ञात जोखिम कारक है। धूम्रपान छोड़ने या कभी शुरू न करने से मोतियाबिंद विकसित होने की संभावना काफी कम हो सकती है।

शराब का सेवन सीमित करें :

अत्यधिक शराब के सेवन को मोतियाबिंद बनने से जोड़ा गया है। इस जोखिम को कम करने के लिए संयम महत्वपूर्ण है।

नियमित नेत्र जांच करवाए :

अपनी आंखों के स्वास्थ्य की निगरानी करने और समय पर उपचार के लिए मोतियाबिंद का शीघ्र पता लगाने के लिए ऑप्टोमेट्रिस्ट या नेत्र रोग विशेषज्ञ के साथ नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं।

अगर आप मोतियाबिंद से खुद का बचाव चाहते है तो इसके लिए आपको पंजाब में आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

मोतियाबिंद के इलाज के लिए बेस्ट हॉस्पिटल !

मोतियाबिंद की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है, इसलिए अगर आप इस समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको मित्रा आई हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

अंत में :

मोतियाबिंद कई ध्यान देने योग्य लक्षणों के साथ एक सामान्य आंख की स्थिति है। जबकि उम्र से संबंधित मोतियाबिंद को पूरी तरह से रोकना मुश्किल है, वहीं उपरोक्त सरल कदम आपके जोखिम को कम करने और आंखों के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकते है। सक्रिय उपाय करके, आप स्पष्ट दृष्टि और जीवन की बेहतर गुणवत्ता का आनंद भी ले सकते है।


बिना दवाई के एक्सरसाइज ने आँखों की रोशनी को दिया बढ़ावा !
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कम या धुंधला दिखता है तो आँखों की रोशनी को तेज़ करना हुआ अब और भी आसान

    January 21, 2024 112896 Views

आंखों के रोशनी की भूमिका हमारे दैनिक कार्य में :

 आज के इस लेखन में हम आँखों को स्वस्थ्य कैसे रखेगे उसके बारे में बात करेंगे…

  • ये बात सत्य है कि आंखे एहम भूमिका निभाती हैं, हमारे दैनिक के कार्य को सम्पन करने में। फिर चाहे वो कार्य छोटा हो या बड़ा।
  • तो वही अगर आंखे हमारी इतनी मदद करती है तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता हैं कि हम भी इनका भली भाँति से ख्याल रखें, क्युकि आंखे एहम भूमिका निभाती है हमारे शरीर मे।

आइये जानते हैं आँखों से जुडी स्वस्थ एक्सरसाइज कौन सी हैं ?

  आँखों को स्वस्थ्य रखने में एक्सरसाइज के साथ योगासन भी काफी सहायक माना जाता हैं…

  आंख छपकाना एक ऐसी एक्सरसाइज हैं जिसमें 10 सेकंड के लिए आँखों को तेज़ी से झपकाएं और 20 सेकंड आंखे बंद करके उन्हें आराम दें। इस प्रक्रिया को 4-5 बार दोहराना चाहिए

  • हथेली से आंख को ढंकना 5 से 10 मिनट के लिए।
  • आंखों को ऊपर-नीचे की और घुमाना।
  • भस्त्रिका प्राणायाम ये योगासन हैं। इसका असर सीधा हमारे फेफड़े, कानों, नाक और आंखों पर होता हैं।
  • त्राटक भी एक योगासन है जो हमारी आँखों को सही रखने में एहम भूमिका निभाता हैं और इस योगासन मे किसी एक वस्तु को बिना हिल्ले टकटकी लगाकर देखना होता हैं।
  • आँखों की स्वस्थ्य एक्सरसाइज के साथ ही इसको और स्वस्थ्य रखने के लिए आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर जोकि पंजाब में हैं उनसे सुझाव ले सकते हैं |

स्वस्थ आँखों के लिए अच्छे आहार का सेवन :

आँखों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ डाइट को हम निम्न प्रस्तुत करेंगे ताकि आप अपनी आँखों को स्वस्थ्य रख सके। इन डाइट्स को फॉलो करके…

  • हरी पत्तेदार सब्जियां।
  • खट्टे फल और कुछ सामान्यः फलों को अपने आहार में शामिल करे जैसे संतरे, अंगूर, नींबू और जामुन तो वही पपीते का सेवन।
  • नट्स का सेवन।
  • अंडे का सेवन।
  • बीन्स (सेमफली) का सेवन।
  • अखरोट और सूरजमुखी के बीज का सेवन।

कौन से विटामिन्स हमारे आँखों के लिए लाभकारी माने जाते हैं ?

  आँखों को स्वस्थ रखने में विटामिन्स एहम भूमिका निभाते हैं। तो यदि आप इन विटामिन्स को अपने आहार में शामिल नहीं कर रहे तो आज ही इन्हे अपने आहार में शामिल करके अपने आँखों को स्वस्थ और सुरक्षित रखें…

  • विटामिन ए, बी विटामिन्स, विटामिन सी और विटामिन इ को आंखों के लिए लाभदायक माना जाता है. यदि हम इन विटामिन्स से भरपूर आहार का सेवन करे, तो हमारे शरीर और आँखों को काफी अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा |

 

आँखों को स्वस्थ रखने के लिए किन बातो का रखे ध्यान :

टीवी या कंप्यूटर स्क्रीन्स को देखने के बीच में कुछ समय का अंतराल जरूर लें।

बहुत ज्यादा रौशनी में आने से पहले आँखों में सनग्लासेस पहनें।

आँखों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए स्मोकिंग का इस्तेमाल न करें।

अपनी आँखों को आराम देने के लिए एक अच्छी नींद लें।

इन सब के बाद भी यदि आप आँखों की रोशनी की समस्या से परेशान हैं, तो लेसिक सर्जरी पंजाब करवाने का करे चुनाव |

निष्कर्ष :

उपरोक्त लिखी सारी बातें अगर आपने पढ़ी है। तो आँखों को लेकर लापरवाही न करें बल्कि किसी अच्छे आँखों के डॉक्टर्स का चुनाव करें। या फिर आप मित्रा आई हॉस्पिटल और लासिक लेज़र सेंटर से भी अपना उपचार करवा सकते हैं | क्युकि यहाँ के डॉक्टर्स हर तरह से आँखों की सर्जरी में नवी तकनीकों का इस्तेमाल कर, मरीज़ो को आँखों से जुडी परेशानी से आराम पहुंचाते हैं।


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